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Tuesday, May 10, 2011

पायलट की बहनों का क्या होगा?

अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री दोरजी खांडू के साथ उनके हेलीकाप्टर में मारे गये पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल तेजेन्दर सिंह ममिक तीनों बहनों चरणजीत, पिंकी तथा रेनू का एकमात्र सहारा थे। सरकार ने उनके मरने भाई के नाम से राशि को देने की घोषणा कर दी, लेकिन उनके भविष्य के बारे में अभी शायद किसी ने कुछ भी नहीं सोचा है। उनका भाई उनका एकमात्र सहारा था जोकि अब इस दुनिया में नहीं रहा है। सरकार को इस बारे में एक बार गहनता से जरूर सोचने की जरूरत है और वह भी ऐसी स्थिति में कि जब तीनों बहने अविवाहित हैं। उनका पेट अब कौन भरेगा सरकार या फिर कोई गैर। मेरा मानना है कि इस दुनिया में जब समय पर अपने तक साथ छोड़ जाते हैं तो गैर तो कौन किसका लगता है। उन्हें अभी पढऩा है, सपनों को पूरा करना है, कुछ बनना है न जाने क्या-क्या सपनों को अपने जीवन में संजौया होगा। इसलिए सरकार को उनके ही नहीं बल्कि अपने प्रदेश और इस देश के तीन भविष्यों के बारे में जरूर सोचना चाहिए। यू तो सरकार कहती है कि लड़कियां लड़कों से कम नहीं होती, लेकिन ऐसी स्थिति जब सिर पर किसी का हाथ ही ना हो वह क्या-क्या कर सकती है। क्या वह अब ऐसी अनाथ कहलाएंगी जिनका अपना कोई भी नहीं है। यहां तक कि जिनके साथ पायलट ने अपनी जान गवा दी उसके परिवार वालों ने उनके बारे में सोचा तक नहीं। या फिर सरकार के विशेष आला अधिकारी ने उनकी सुध ली और आश्वासन दिया हो की उनका खर्च अब सरकार उठाएगी।
गौरतलब है कि मातमी सन्नाटे में उनकी तीन बहनों की चीखों और सिसकियों के अलावा कोई और आवाज नहीं है। मूलत: पंजाब के निवासी ममिक भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल के पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के बाद पवन हंस के लिये अपनी सेवाएं दे रहे थे। खांडू के साथ उन्हें भी अपनी जान गंवानी पड़ी है। उनके परिवार में वर्तमान में केवल तीन अविवाहित बहनें हैं जिनकी सीधी जिम्मेदारी ममिक पर ही थी। पत्नी के साथ उनका अलगाव हो चुका था।

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