Tuesday, May 17, 2011
'ओ' ब्लड ग्रुप की महिलाओं को गर्भधारण में परेशानी होती है
वैज्ञानिकों ने नए शोधों में पाया गया कि 'O' ब्लड ग्रुप की महिलाओं को गर्भधारण में परेशानी होती है। इसकी वजह उनके गर्भाशय में खराब गुणवत्ता के कम अंडे का बनना होता है। वहीं इसके विपरीत जिन महिलाओं का ब्लड ग्रुप 'A' होता है उनकी प्रजनन संभावनाएं बेहतर होती हैं। दरअसल वैज्ञानिकों ने विशेष ब्लड ग्रुप वाली महिलाओं में प्रजनन क्षमता को अपनी शोध का विषय बनाया था।
शोधकर्ताओं ने पाया कि किसी महिला का एक विशेष ब्लड ग्रुप होने से यह उसकी प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है और उसके मां बनने के अवससरों को भी सीमित करता है।
शोध के दौरान याले यूनिवर्सिटी और न्यूयार्क के अल्बर्ट आइंसटाइन कॉलेज ऑफ मेडिसिन के शोधकताकर्ताओं ने गर्भधारण करने के लिए उपचार हासिल कर रही 560 महिलाओं का परीक्षण किया जिनकी औसत आयु 35 वर्ष थी।
शोधकर्ताओं ने प्रजनन क्षमता का मापदंड माने जाने वाले फोलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन (एफएचएच) का स्तर जांचने के लिए इन महिलाओं के रक्त के नमूने लिए। एफएसएच(FSH) का स्तर दस से अधिक होने से पता चलता है कि महिला को गर्भ धारण करने में दिक्कत होगी।
एफएसएच का उच्च स्तर इस बात का संकेतक है कि गर्भाश्य में अंडों की संख्या बेहद कम है और उपलब्ध अंडे भी अच्छी गुणवत्ता के नहीं हैं। शोध में यह भी पाया गया कि किसी अन्य ब्लड ग्रुप की महिलाओं के मुकाबले 'O' ब्लड ग्रुप की महिलाओं का एफएसएच(FSH) स्तर दस से अधिक होने की आशंका अधिक रहती है। ब्रिटिश मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि ब्रिटेन की 44 फीसदी आबादी का ब्लड ग्रुप ओ है।
प्रमुख शोधकर्ता डॉ. एडवड नेजात ने बताया कि प्रजनन उपचार हासिल कर रही दोनों रक्त समूहों की महिलाओं में से 'O' रक्त समूह की महिलाओं का एफएसएच(FSH) स्तर दस से अधिक होने की दोगुनी संभावना थी। उन्होंने बताया कि हमने पाया कि 'A' और 'एबी' निगेटिव समूह की महिलाएं गर्भ में अंडों की कम संख्या के प्रभाव से मुक्त थीं। ब्रिटिश फर्टिलिटी सोसायटी के अध्यक्ष टोनी रदरफोर्ड के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है, यह पहली बार है कि जब मुझे पता चला है कि शोधकर्ताओं ने प्रजनन क्षमता और रक्त समूह के बीच संबंध बताया है।
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