भारत देश आज विकाशील देश है, लेकिन इस देश पर यदि कोई आंच आती है तो इस पर मर मिटने वाले युवाओं की संख्या आज कम क्यों होती जा रही है। क्या देश में भ्रष्टाचार को बोलबाला पहले से कहीं अधिक हो गया है और युवाओं के दिलों में जो जज्बा देश में लिए होता है था शायद वो आज कम हो गया है। कम ही क्यों लगभग समाप्त हो चुका है। आज का युवा देश के लिए कम और अपने लिए अधिक सोचने लग गया है। यदि ऐसा है तो आने वाले समय में देश पर मर मिटने वालों की संख्या ही नहीं बचेगी और भारत देश फिर किसी इंग्लैंड का गुलाब होकर रह जाएगा। जब देश को आजाद कराने के लिए वो भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, सुभाष चंद्र बोस, जवाहर लाल नेहरू आदि जैसे नेता या फिर क्रांतिकारी नहीं पैदा होंगे तो शायद भारत देश का नक्शा ही कुछ ओर होगा।
इस विषय पर सरकार सोचे भी तो क्या सोचेगी कि देश से पहले भ्रष्टाचारियों को समाप्त किया जाए। या फिर देश के प्रति सोचा जाए? आज का युवा अपने लिए इसलिए सोचने लगा है इसका कारण स्वयं सरकार के सिवाय कोई ओर है ही नहीं। क्योंकि सरकार के नुमाईदों में ही वो चेहरे छूपे बैठे हैं जोकि भ्रष्टाचार को एक पीढ़ी की भांति फैला रहे हैं। मानों हर रोज एक नई पीढ़ी जन्म ले रही हो। देश पर मर मिटने वालों की संख्या इसलिए ही शायद कम हो चुकी है। यदि कोई आम देशभक्त अपने दिल में देश के लिए मर मिटने का जज्बा लेकर भर्ती में जाता है तो उसे दूसरों को खिलाने के लिए घुस नहीं होती चाहे वह हर क्षेत्र में अव्वल रहा हो, लेकिन घुस की प्यास को बुझाने के लिए उसके पास कुछ भी नहीं होगा तो उसे किसी न किसी कारण का थप्पा लगाकर निकाल दिया जाएगा।
मेरा यह मानना है कि जिस प्रकार सरकार महंगाई को आज तक नहीं रोक पाई हो यदि उसी की तर्ज पर महंगाई के स्थान पर देशभक्ति को जोड़ दिया जाएगा तो क्या होगा? क्या इस देश का नक्शा आज कुछ और नहीं होता या फिर कुछ और? आज के समय में मां देश भक्तों को पैदा तो करती हैं, लेकिन यदि वह गरीब, पिछड़ा वर्ग होता है तो उसके पास पैसे कहां से आएंगे। वह भूखा तो मरेगा नहीं इसलिए चोरी करेगा, डाका डालेगा और किसी न किसी तरह से अपना पेट पालेगा। क्या यही है इस विकाशील देश का भविष्य? यदि यही है इस विकाशील देश का भविष्य तो दिक्कार है ऐसे देश की सरकार और सिस्टम पर। फिर तो यह देश मात्र विकाशील नाम से विकाशील ही रहेगा कभी शायद विकासित ही नहीं हो पाएगा?
सरकार हर विषय पर बैठकें आयोजित करती है, पैसों को पानी की तरह से बहाती है, हर विषय में कड़े तेवर अपनाए जाते हैं, लेकिन इस भारत देश की सुरक्षा के बारे में शायद कुछ नाम मात्र भी नहीं सोचा जाता है। यदि कोई देश अपने देश में कुछ आतंवादियों को भेजकर हमला करवा देता है तो यहां सिस्टम के अनुसार भारत देश के रक्षा मंत्री को इस्तीफा देना पड़ता है और दूसरे रक्षा मंत्री को नियुक्त कर दिया जाता है। यदि दूसरे रक्षा मंत्री के होते हुए ऐसा होता है तो फिर तीसरा, चौथा फिर....यह सब शायद पहले से ही चलता आ रहा है।
दूसरी ओर भारत में फौज, कमांडो, पुलिस, सीबीआई, सीआईडी, आईबी देश के लिए रक्षक के नाम पर काम करते हैं। इसमें अत्यधिक भारत में फौज को त्वजो दी जाती है ऐसा क्यों? क्यों कमांडो, पुलिस, सीबीआई, सीआईडी, आईबी देश के लिए रक्षक केवल नाम मात्र ही हैं ऐसा भी क्यों? ऐसा इसलिए है क्योंकि आज सीबीआई जिसे केस सुलझाने के लिए सर्वोच्च नाम से पूकारा जाता है कि केस का फैंसला सीबीआई को सौंप दो। एक बात मेरी समझा में आज तक नहीं आई जब सीबीआई भी भ्रष्टाचारियों से भरी हो या फिर बड़े-बड़े नेताओं के चलते हुए केस की छानबीन में यदि दस वर्ष भी लग जाते हैं तो इस देश में उस केस को १० साल तक याद रखने वाला कोई नहीं रहता। क्या सरकार को फौज, कमांडो की भर्ती के लिए अलग से स्टाफ देना चाहिए यदि ऐसा संभव नहीं है तो देश को आतंवादियों की जानकारी, देश में घुसकर हमला करने के बारे में पहले जानकारी, मौके पर फैसला करने का हक देने के लिए एक अलग से किसी फार्स का नाम रखकर उसमें देश के युवाओं को बकायदा कमांडो की टे्रनिंग देकर भर्ती करना चाहिए जिसमें भ्रष्टाचार का नामों निशान तक ना हो। जिसके नाम से कटिले तेवर दिखाने वाले विदेशी देश, देश में रहने वाले भ्रष्टाचारी भी थर..थर.. कांपने लगा जाएं।
No comments:
Post a Comment