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Monday, April 19, 2010

छोटी-सी उमर का बड़ा-सा अफेयर

दोस्तों ! जीवन में ज्यादातर मौकों पर हम असमंजस में रहते हैं। हमारा जो दिल कहता है हम यूँ तो वही करते हैं पर पूरे यकीन के साथ नहीं। हजारों सवाल हमारे मन में उठते रहते हैं जिसका जवाब हमें हमारे भीतर नहीं मिलता। जो द्वंद्व और प्रश्न हमारे अंदर उठते हैं उसके उत्तर से हम इतने संतुष्ट नहीं होते कि हम औरों को भी विश्वास दिला सकें।
जब ऐसी स्थिति होती है तो हम खुशी के पल बिताने पर भी पूरी तरह खुश नहीं हो पाते हैं। अपनी दिली ख्वाहिश पूरी होने पर भी हमें एक प्रकार का असंतोष और अधूरापन महसूस होता है।
इन हालात में खुशी के संग-संग गम का साया भी साथ-साथ चल रहा होता है। इस स्थिति के कारण हमारा ढेर सारा समय इन उलझनों के विषय में सोचने में निकल जाता है। समय की यह बर्बादी हमारे कॅरियर, शारीरिक व मानसिक सेहत के लिए सही नहीं है। खासकर तब जब हम किशोर हों। हमारे ऊपर पढ़ने और कॅरियर बनाने की जिम्मेदारी हो।
सीमा, ज्ञान, रानी, संभावना, कामरान जैसे बहुत सारे किशोरों को आज यह समस्या बेहद परेशान कर रही है। ये सभी अभी टीन एजर्स हैं और दसवीं क्लास तक भी नहीं पहुँचे हैं और इन्हें लगता है कि प्यार हो गया है। अपने साथी के साथ समय बिताना, उसका ख्याल रखना बेशक उन्हें बहुत अच्छा लगता है पर हर समय यह द्वंद्व उन्हें सताता रहता है कि क्या यह ठीक है। कहीं वे अपनी पढ़ाई, कॅरियर और माँ-बाप के साथ धोखा तो नहीं कर रहे हैं। यह प्रश्न उन्हें चैन से जीने नहीं देता है जिसके कारण वे अकसर उधेड़बुन में रहते हैं। सबसे ज्यादा जो सवाल उन्हें परेशान करता है वह यह कि यदि उन्होंने इस प्यार को अभी ठुकरा दिया तो शायद जीवनभर फिर ऐसा प्यार नसीब न हो।
टीन फ्रेंड्स, जिस भावना को सामाजिक मान्यता नहीं मिली होती है उसको महसूस करने भर से भी आप ग्लानि और असहजता महसूस करेंगे। आप सभी अभी मैच्योर नहीं हैं और प्यार जैसे गंभीर रिश्ते में पड़ने से आपको परेशानी हो सकती है। हमारे समाज में प्रेम करना आमतौर पर पाप करने के समान है। जिन्होंने अपना कॅरियर संभाल लिया है। आत्मनिर्भर हो गए हैं, उनके लिए भी प्रेम करना उतना आसान नहीं है।
जाति, धर्म, वर्ग आदि जैसी न जाने कितनी ही अड़चनें हैं जो उन्हें पग-पग पर गलत होने का अहसास कराती हैं। प्रेम जैसी खूबसूरत भावना से उन्हें वाह-वाही नहीं मिलती बल्कि नीचता का आभास कराया जाता है। आप लोग अभी समाज की नजर में बहुत छोटे हैं। आत्मनिर्भर होने में आपको वर्षों लगेंगे। हमारे समाज में जो लोग भी आत्मनिर्भर नहीं होते उनकी समझदारी पर हमेशा प्रश्न चिह्न लगा ही रहता है।
संचार क्रांति और सूचनाओं की बौछार के कारण यह संभव है कि आप किशोर होते हुए भी कई भावनाओं को समझने और विश्लेषण करने में सक्षम हों तथा मानसिक रूप से परिपक्व हों पर आपकी उम्र के कारण परिवार समाज की नजर में अभी आप बच्चे हैं। यही वजह है कि आपकी भावना को उतनी गंभीरता से नहीं लिया जाएगा जिसकी आपको आशंका रहती है। चूँकि इस रिश्ते के बारे में परिवार मे संवाद बनाना मुश्किल है इसलिए इसकी जटिलता और भी बढ़ जाती है।
एक बात से तो आप भी सहमत होंगे कि किशोर उम्र में कई बार मात्र आकर्षण को ही प्यार समझ लिया जाता है। केवल आकर्षण प्रेम नहीं है। प्रेम पूरे व्यक्तित्व, आपकी और उनकी सोच से जुड़ी भावना है। इस भावना का एलान चाहे अपने दिल में ही क्यों न करें, जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। किशोर दोस्तों, समझदारी और जानकारी के अलावा तजुर्बे का जीवन में बहुत महत्व है। अनुभव को यदि जीवन में ठीक से अपनी भूमिका अदा करने दिया जाए तो जिंदगी की बहुत सारी मुश्किलें कम हो जाएँगी।
सफल जिंदगी के लिए सही समय का बहुत महत्व होता है यानी कब हम क्या करते हैं यह कामयाबी की कुंजी होती है। यदि आपने अभी प्रेम नहीं किया तो पाँच वर्ष बाद भी आप प्रेम तो कर सकते हैं पर पाँच साल बाद क्या आपके लिए नौवीं या दसवीं में पढ़ना संभव होगा? आप यूँ समझें कि परीक्षा के समय आप रातभर जागकर पढ़े और ऐन परीक्षा के समय सो जाएँ तो क्या आपके ज्ञान मेहनत का फल आपको मिल पाएगा?
हम हीटर गर्मी में और एसी-कूलर जाड़े में ऑन कर लें तो हमें उससे राहत मिलेगी या तकलीफ? जवाब आपको भी पता है। वे किशोर जिनके घरों में उन पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है, उन्हें प्यार नहीं मिलता, घर में कोलाहल मचा रहता है, वे प्रेम में जल्दी पड़ जाते हैं।
माँ-बाप और परिवार के हालात को चुटकियों में बदला नहीं जा सकता। बेहतर है किशोर-किशोरियाँ खुद अपने मन को समझें। आप दोस्ती करें खुश रहने के लिए, अपना दुख-सुख बाँटने के लिए, अपनी पढ़ाई और बेहतर करने के लिए, सपोर्ट लेने और देने के लिए, न कि प्रेम के नाम पर अपना भविष्य खराब करने के लिए।

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