राष्ट्रमंडल खेलों का क्या होगा? इसके बारे में कभी कुछ नहीं कहा जा सकता, क्योंकि एक ओर सरकार इसके सफल होने का दावा कर रही है तो वहीं दूसरी ओर इसके शुरू होने से पहले की असंतोषजन समाचार भी प्राप्त हो रहे हैं। आए दिन राष्ट्रमंडल खेलों के बारे में एक नई बात सुनने को मिलती है। राष्ट्रमंडल खेलों के बारे में कुछ चकित कर देने वाली जानकारी राजस्थान पत्रिका से प्राप्त हुई। कॉमनवेल्थ गेम्स में हुई वित्तीय गडड़बडियों के चलते यह घोटालों का महाखेल बन गया है। सीवीसी की रिपोर्ट में गेम्स के लिए तैयार 16 प्रोजेक्ट््स में गड़बड़ी की रिपोर्ट का खुलासा होते ही धीरे धीरे गेम्स की तैयारियों के नाम पर हो रही लूट सामने आने लगी। रिपोर्ट से हुआ घोटालों और घपलों के खुलासे का सिलसिला बहुत लंबा है। रिपोर्ट के बाद आयोजन समिति से जुड़े तीन सदस्यों की बलि आयोजन समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी को बचाने के लिए हो चुकी है और टेनिस संघ के कोषाध्यक्ष अनिल खन्ना को इस्तीफा देना पड़ा है। हालांकि कलमाड़ी अभी भी अपनी खाल बचाए हुए हैं । सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस का एक बड़ा वर्ग कलमाड़ी से किनारा किए जाने का पक्षधर है। ऎसे में कलमाड़ी पर भी तलवार लटकती दिख रही है।
अपने लोगों को दिए ठेके
गेम्स की तैयारियों में गड़बड़झाले का सबसे पहले खुलासा सीवीसी की रिपोर्ट में हुआ। सीवीसी की रिपोर्ट में कहा गया कि कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए तैयार किए जा रहे प्रोजेक्ट्स की बोली में मनमानी वाला रवैया अपनाया गया। बोली में सही प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। अपने लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए उनको ठेके दिए गए। प्रोजेक्ट्स में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया। इसके बाद तो कॉमनवेल्थ गेम्स में घपलों की खबरों की झड़ी लग गई। गेम्स की तैयारियों के लिए बड़े पैाने पर लूट की खबरें आने लगी। यह लूट हर तरीके से हो रही है। ज्यादातर लूट कमीशनखोरी के तौर पर हो रही है।
कीमत से ज्यादा किराया
मीडिया रिपोर्टो के मुताबिक आयोजन समिति में सबसे ज्यादा घपला किराए पर ली जाने वाली चीजों के नाम पर हुए हैं। सूत्रों के मुताबिक गेम्स की आयोजन समिति ने जिन मेडिकल उपकरणों को खरीदा उनमें बड़े पैमाने पर धांधली हुई है। समिति ने जिन छतरियों, मेज, पानी के जग, एयरकंडीशन, कुर्सियों को किराए पर लिया उनकी कीमत किराए से आठ से दस गुना कम है। सूत्रों के मुताबिक गेम्स के उद्घाटन व समापन समारोह में इस्तेमाल होने वाले कार्यक्रम में इस्तेमाल होने वाले गुब्बार पर करीब 48 करोड़ रूपए में खर्च किए जा रहे हैं।
बेनामी कंपनी को दिए पैसे, ई-मेल से छेड़छाड़
समिति ने टेंडर की प्रक्रिया को पूरा किए बिना ही लंदन की एक बेनामी कंपनी को 4.50 लाख पाउंड की रकम सौंप दी और इसके लिए कोई दस्तावेजी रिकॉर्ड भी नहीं रखा। समिति की ओर से कहा गया कि लंदन स्थित उच्चायोग की सिफारिश पर कंपनी को पैसा ट्रांसफर किया गया था। हालांकि उच्चायोग ने समिति के इन आरोपों को खारिज कर दिया। बाद में इस मामले में समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी ने अपने पक्ष में एक ई-मेल सार्वजनिक किया। हालांकि इस मामले में कलमाड़ी की ही फजीहत हुई। विदेश मंत्रालय ने अपनी जांच में पाया कि कलमाड़ी ने जिस ई-मेल को पेश किया है उसके साथ छेड़छाड़ की गई है।
4 लाख की ट्रेडमिल का किराया 10 लाख
आयोजन समिति ने जिस ट्रेड मिल को करीब 10 लाख रूपए में किराए पर लिया उसकी कीमत दिल्ली के स्थानीय बाजार में सिर्फ 4 लाख रूपए है। मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि किसी को फायदा पहुंचाने के लिए ऎसा किया गया है। हालांकि बाद में आयोजन समिति ने ट्रेडमिल को किराए पर लिए जाने के प्रस्ताव को रद्द कर दिया गया। समिति ने ट्रेडमिल को बाजार से खरीदने का फैसला किया गया था।
बेटे को दिलाया ठेका
हालिया खबर के मुताबिक कॉमनवेल्थ खेलों के लिए टेनिस टर्फ के निर्माण का ठेका आयोजन समिति के कोषाध्यक्ष अनिल खन्ना के बेटे को दे दिया गया। आर के खन्ना टेनिस स्टेडियम में 14 सिंथेटिक टर्फ तैयार करने का टेंडर अनिल खन्ना के बेटे आदित्य की कंपनी रिबाउंड इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया था। लेकिन कंपनी ने गुणवत्ता की परवाह किए बगैर आनन फानन में ही निमार्ण कार्य पूरा करवा दिया। आदित्य ऑस्ट्रेलियन फर्म रिबाउंड ऎस की भारतीय शाखा रिबाउंड फर्म इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ हैं।
लॉन टर्फ खरीदने में भी घपला
टेनिस टर्फ के निर्माण में आए घोटाले के बाद कॉमनवेल्थ के लिए लॉन बॉल टर्फ खरीदे जाने में भी गड़बडियां सामने आई हैं। बताया जा रहा है कि लॉन बॉल टर्फ के लिए तय कीमत से पांच गुना अधिक कीमत चुकाई गई है। सूत्रों के अनुसार एक लॉन बॉल टर्फ के लिए निर्माण कंपनी को करीब 1.35 करोड़ रूपए चुकाए गए जबकि यह मात्र 27 लाख रूपए में तैयार हो सकता था। सूत्रों के अनुसार 3-14 अक्टूबर तक होने वाले खेलों के लिए आठ टर्फ खरीदी गई हैं। दिल्ली की कंपनी एरोस टर्फ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को टर्फ खरीदे जाने के लिए पांच गुना ज्यादा का भुगतान किया गया है। सूत्रों के मुताबिक नेशनल गेम्स के दौरान एक टर्फ के निर्माण में लगभग 18.37 लाख रूपए का खर्च आया था जबकि कॉमनवेल्थ के लिए यह अचानक बढ़कर 1.35 करोड़ रूपए तक पहुंच गया। झारखंड में होने वाले राष्ट्रीय खेलों के लिए ऑस्ट्रेलियाई ग्रीनगॉज सरफेस लिमिटेड ने वर्ष 2005 में 18,37,500 रूपए में टर्फ का निर्माण किया था। ग्रीनगॉज वही कंपनी है जिसे आईओए ने मंजूरी दी थी।
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