खेलों के बारे में अच्छी खबर का आप शायद इंतजार ही करते रहे। आज की हालत यह है कि 19 में से 12 स्टेडियम खेल की हालात में नहीं है, दिल्ली विकास प्राधिकरण ने कह दिया है कि वसंतकुंज में जो तीन सितारा फ्लैट बन रहे हैं उनमें से आधे ही वक्त पर तैयार हो पाएंगे, करने के लिए जो हाईटेक उपकरण लाए गए थे उनमें अभी से गड़बड़ी शुरू हो गई है और सुरेश कलमाडी पंचर होने के बाद से खामोश है।
उधर आयोजन समिति के कई सदस्यों ने बताया है कि उन्होंने आस्ट्रेलिया की प्रायोजक और विज्ञापन प्रबंधन कपंनी स्माम की क्षमता और उसे दिए जा रहे पैसों को ले कर सीएजी की जांच के पहले भी सवाल किए थे। मगर सुरेश कलमाडी की आस्था इस कंपनी में लगातार बनी रही। कल दिल्ली से लौटे कॉमनवेल्थ फेडरेशन के अध्यक्ष माइक फेनेल और सीईओ माइक हूपर दोनों ने मिल कर कलमाडी के साथ तालमेल किया था कि 200 करोड़ रुपए का अनुबंध स्माम के साथ कर लिया जाए क्योंकि उससे इन दोनों के पहले से लेन देन के रिश्ते थे।
स्माम एक भी विज्ञापनदाता या प्रयोजक नहीं ला सकी। आयोजन समिति की कार्यकारिणी ने 7 जून 2006 को माइक फेनेल ने साफ कहा था कि सिद्वांत रूप से स्माम को अनुबंधित करने की स्वीकृति दी जाती। माइक हूपर ने एक कदम और आगे बढ़ कर कहा था कि कॉमनवेल्थ आयोजन समिति को हर अनुबंध फेडरेशन से पूछ कर देना पड़ेगा। कलमाडी सौदे में शामिल थे इसलिए खामोश रहे। कोषाध्यक्ष अनिल खन्ना ने जरूर ऐतराज उठाए थे। खन्ना खुद अब अपने बेटे की कंपनी को ठेका मिलने के कारण बाहर कर दिए गए।
अब सवाल आता है खेल समारोह की सुरक्षा का खेल मंत्रालय और आयोजन समिति ने रक्षा मंत्रालय से कहा है कि समारोह और खिलाड़ियों और दर्शकों की सुविधा और सुरक्षा के लिए सेना को नियुक्त करना चाहिए मगर इसके लिए रक्षा मंत्रालय को कोई खर्चा नहीं मिलेगा। सैनिकों का खाना भी आयोजन समिति नहीं खिलाएगी। रक्षा मंत्री एके एंटनी ने झापड़ मारने के अंदाज में इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है।
सेना के बैंड और एनसीसी के 2500 कैडेट भी काम करेंगे। उनके रहने के लिए 27 लाख का खर्चा कौन देगा यह भी तय नहीं है। उधर स्माम घोटाले के मामले में एक समिति के एक सदस्य टुंकु इमरान ने कहा था कि सिर्फ एक कंपनी पर भरोसा करना ठीक नहीं होगा। मगर बहुमत ने उनकी राय नहीं सुनी और इसी बैठक में ब्रॉडकास्ट अधिकारों पर भी फैसला हो गया जिसमें फिर करोड़ों का घाटा हुआ है।
फरवरी 2010 में समिति के राजस्व अधिकारी वी के सक्सेना ने कहा था कि स्माम के पास न प्रतिभा है, न लोग हैं, न शंका हैं और इसे दिए गए पैसे भी वापस ले लेने चाहिए। कोई आश्चर्य नहीं कि सुरेश कलमाडी ने या फेनेल ने या हूपर ने जिन्हें इस पत्र की प्रतियां भेजी गई थी इस बारे में कोई जवाब नहीं दिया।
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