प्रचारक : लोक संपर्क विभाग
स्थान : जिला जीन्द, हरियाणा
तो हुआ यूं की लोक संकर्प विभाग वाले अपना प्रचार करते-करते उह.....गांव का नाम याद नहीं आ रहा है....चलो छोड़। गांव में पहुंचकर गांव के सभी बच्चे, बुढ़े, महिलाएं, जवान आदि वहां जमा हो जाते हैं कि हैलो..हैलो.. वाले आए हुए हैं। शायद कोई जादू का खेल दिखाया जाएगा। उनकी आवाज सुनकर सभी भागे चले आते हैं और खड़े होकर देखने लगते हैं कि कोई बांसूरी बजा रहा है तो कोई डोलकी पीट रहा है। एक भाई आए और धूतू यानी की गांव की भाषा में हैलो..हैलो को हाथ में लेकर कंडोम के को इस्तेमाल करने के बारे में बताने लगे कि इससे एड्स से बचा जा सकता है। उनकी बातें सुनकर कुछ बुढ़े और औरतें तभी पहली गली से निकल लिए। कुछ मलंग लोग, बच्चे, बुढ़े उनकी बातों को सुनने लगे कि कंडोम को यूज करो और एड्स व इसके अलावा होने वाली यौन रोगों से बचो। तभी एक धाकड़ लुगाई उठ कै बोली, 'रै बेटा जे थामने कोए आदमी रसगूल्ला पन्ने मै डालकै दे देवै और कवै के इसनै खा ले, तो कै खाणं मैं मजा आवैगा।Ó औरत की बात सुनते ही सभी समझ गए की यहां दाल नहीं गलने वाली तो वे कुछ समय के बाद वहां से चलते बने।
अब जरा सोचिए की गांव में कितने लोग हैं कि जो कंडोम के बारे में जानते हैं और जानने वाले भी कहां लगाते होंगे। सोचते होंगे की क्यो इसे फाड़कर लगाने में समय बर्बाद किया जाए। क्या वे यह नहीं जानते ही इसके लगाने से क्या होगा.... और क्या नहीं होगा। ऐसे लोगों का तो ऊपर वाला ही रखवाला है।
No comments:
Post a Comment