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Friday, August 27, 2010

भारत ने चीन को औकात बताई

चीन ने एक बार‍ फिर उकसाने वाली हरकत करते हुए कश्‍मीर में तैनात भारत के बड़े सैन्‍य अफसर को वीजा देने से मना कर दिया है। उसकी दलील है कि कश्‍मीर विवादित क्षेत्र है और वहां की कमान संभाल रहे सैन्‍य अफसर का चीन स्‍वागत नहीं कर सकता। जवाब में भारत ने भी सख्‍त कदम उठाया है। चीन के साथ परस्‍पर रक्षा संबंध फिलहाल खत्‍म कर दिए गए हैं। विदेश मंत्रालय ने चीन के राजदूत को इस मामले में तलब कर सफाई देने को कहा है। इसके अलावा, चीन ने यह फैसला किया है कि उसकी सेना का एक अफसर अगले महीने इस मामले को सुलझाने के लिए भारत का दौरा करेगा।
भारत में चीन के राजदूत झैंग यान को शुक्रवार को भारतीय विदेश मंत्रालय के आला अफसरों ने तलब किया है। इससे पहले शुक्रवार को ही चीनी दूतावास की ओर से जारी बयान में कहा गया कि दूतावास को वीज़ा न दिए जाने के बारे में मालूम तो है, लेकिन सही जानकारी नहीं है। भारतीय सेना के नॉर्दर्न एरिया कमांड के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल बीएस जसवाल (देखें तस्‍वीर) को इसी महीने चीन जाना था। इसके लिए भारतीय सेना ने जून से ही तैयारी शुरू कर दी थी। चीन ने जसवाल के नाम पर यह कहते हुए आपत्ति जाहिर कर दी कि जसवाल जम्मू-कश्मीर के विवादित क्षेत्र को 'नियंत्रित' करते हैं।
जनरल जसवाल को जुलाई में चीन के दौरे पर जाना था। लेकिन चीन की आपत्ति के बाद जसवल का वीज़ा रोक दिया गया। भारत और चीन के बीच इसी साल जनवरी में जनरल रैंक के अफसरों की एक-दूसरे के देश की यात्रा कराने पर सहमति बनी थी। जसवाल इसी सहमति के तहत चीन जाने वाले थे। हालांकि, उस समय यह तय नहीं किया गया था कि कौन से अफसर इस तरह की यात्रा पर जाएंगे। सूत्रों के मुताबिक भारत ने जब जनरल जसवाल को चीन के दौरे पर भेजने के अपने फैसले की जानकारी चीन को दी तो चीन ने कहा कि जसवाल जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील सूबे से आते हैं और इस इलाके के लोगों के लिए अलग तरह के वीज़ा की जरूरत होती है। सूत्र यह भी बताते हैं कि चीन का जवाब जसवाल की यात्रा की तारीख के आसपास आया, जिसके चलते मामले को सुलझाया नहीं जा सका।
इस बीच, जनरल जसवाल ने कहा है, 'मुझे बताया गया है कि मेरी चीन यात्रा कुछ समय के लिए टाल दी गई है। लेकिन मुझे यह नहीं मालूम है कि ऐसा क्यों हुआ।' उधर, हैदराबाद में रक्षा मंत्री ए.के.एंटनी ने चीन से रक्षा संबंध तोड़े जाने की ख़बर का खंडन किया है। उधर, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विष्णु प्रकाश ने कहा है कि चीन को भारत की चिंताओं को लेकर संवेदनशील होना होगा।
चीन के वीजा देने से इनकार करने पर भारत ने भी तीखी प्रतिक्रिया देते हुए चीनी सेना के दो अफसरों को भी भारत आने की इजाजत देने से मना कर दिया गया है। ये दोनों अफसर नेशनल डिफेंस कॉलेज में ट्रेनिंग के लिए आने वाले थे। भारत ने चीन को इन फैसलों की वजह की जानकारी भी दे दी है ताकि इस मामले में कोई भ्रम की स्थिति न रहे। सूत्र बताते हैं कि जल्‍द ही चीन की सत्‍ताधारी कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के एक वरिष्‍ठ सदस्‍य भारत आने वाले हैं। संभवत: उनके सामने यह मुद्दा उठ सकता है।
चीन ने नॉर्दन आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल बी एस जसवाल को इसलिए अपने देश में आने की अनुमति नहीं दी है क्योंकि जसवाल संवेदनशील जम्मू-कश्मीर से जुड़े हुए हैं। सूत्रों के मुताबिक ले. जसवाल को जुलाई में रक्षा समझौतों के लिए की जाने वाली यात्रा के तहत चीन जाना था, लेकिन चीन की आपत्ति के कारण ऐसा नहीं हो सका।
चीन की इस हरकत पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए भारत ने भी उस देश के रक्षा अधिकारियों की यात्रा को अस्थाई तौर पर रोक दिया है। सूत्रों के मुताबिक जनवरी में हुई वार्षिक रक्षा वार्ता के दौरान दोनों देशों के बीच रक्षा समझौतों के लिए जनरल स्तर के अधिकारियों की यात्रा के बारे में सहमति बनी थी। उन्होंने बताया कि उस समय इस यात्रा के जुलाई में संपन्न होने का फैसला हुआ था, लेकिन तब यह निर्धारित नहीं हो सका था कि भारत की ओर से किसे भेजा जाएगा।
सूत्रों ने बताया कि भारत ने जब लेफ्टिनेंट जनरल जसवाल को भेजने के बारे में चीन को बताया, तो चीन ने एक पत्र लिखकर कहा कि ले. जसवाल जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील इलाके से जुड़े हैं और दुनिया के इस भाग के लोग एक अलग वीजा पर ही आ सकते हैं।
चीन ने सुझाव दिया कि भारत किसी और को भेज सकता है और उसे अपनी यात्रा निरस्त नहीं करनी चाहिए। सूत्रों ने बताया कि चीन की आपत्ति यात्रा के ऐन पहले आई, जिसके चलते मामला सुलझ नहीं सकता था और इसलिए यात्रा निरस्त हो गई।
जनरल जसवाल ने कहा कि मुझे बताया गया कि यात्रा कुछ दिन के लिए स्थगित कर दी गई। मुझे नहीं पता कि इसमें देरी क्यों हो रही है। दूसरी ओर हैदराबाद में मौजूद रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने इस बात से इंकार कर दिया कि इस विवाद के चलते चीन के साथ रक्षा संबंधों पर कोई प्रभाव पड़ेगा।
एंटनी ने एक समारोह में संवाददाताओं से कहा कि चीन के साथ रक्षा संबंध तोड़ने का सवाल नहीं है। हमारे चीन के साथ करीबी संबंध हैं, हालांकि समय-समय पर कुछ परेशानियां हो सकती हैं।
एंटनी ने कहा कि कुछ समय की परेशानियों के कारण चीन के साथ हमारे संपूर्ण संबंधों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विष्णु प्रकाश ने कहा कि यात्रा कुछ कारणों के चलते नहीं हो सकी, हालांकि उन्होंने इस बारे में विस्तृत जानकारी देने से मना कर दिया। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि चीन को भारत की चिंताओं के प्रति संवेदनशील होना चाहिए।
प्रकाश ने कहा कि हम चीन के साथ अपने संबंधों की कीमत समझते हैं, लेकिन एक-दूसरे की चिंताओं के प्रति संवेदनशीलता होनी चाहिए। इस मुद्दे पर हमारी चीन के साथ बात हो रही है।
बीजिंग की इस हरकत से व्यथित भारत ने भी चीन के दो सैन्य अधिकारियों को भारत की यात्रा की अनुमति देने से अस्थाई तौर पर इंकार कर दिया है। दोनों सैन्य अधिकारियों को नेशनल डिफेंस कॉलेज में प्रशिक्षण प्राप्त करने आना था। भारतीय सैन्य अधिकारियों की चीन यात्रा को रोक दिया गया है।
चीन की इस हरकत की राजनीतिक दल भी यह कहते हुए निंदा कर रहे हैं कि यह भारत का अपमान है और सरकार को इस मुद्दे को मजबूती से उठाना चाहिए। भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा हम चीन के इस कदम की निंदा करते हैं। विदेश मंत्रालय और सरकार को फौरन चीन से इस संबंध में मजबूत तौर पर नाराजगी जाहिर करनी चाहिए। जसवाल को चीन आने की अनुमति न देना भारत का अपमान है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हमारे पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के साथ अहम, बहुपक्षीय और जटिल संबंध हैं। उन्होंने कहा कि चीन के साथ हमारा रक्षा समेत कई क्षेत्रों में संपर्क बढ़ रहा है। हाल के वर्षों में हमने उसके साथ कई स्तरों पर उपयोगी रक्षा समझौते किए हैं।
जावड़ेकर ने कहा कि चीन को यह स्पष्ट कर देना चाहिए कि कश्मीर कोई विवादित क्षेत्र नहीं है और यह भारत का एक अहम भाग है। कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि भारत हमेशा से कहता आया है कि वह चीन के साथ सौहार्दपूर्ण रिश्ते चाहता है लेकिन ये रिश्ते आपसी सम्मान पर आधारित होने चाहिए जिसमें दोनों देश एक दूसरे की संवेदनाओं को ध्यान रखें।
जावड़ेकर ने कहा कि चीन हमेशा से अरूणाचल प्रदेश में समस्या को हवा देता आ रहा है और अब कश्मीर की स्थिति से लाभ उठाना चाहता है। उन्होंने कहा कि इससे पाकिस्तान को मदद मिलेगी।
भाजपा के वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह ने सरकार से कहा कि वह इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाए। जसवंत ने कहा कि जसवाल एक समारोह में जा रहे थे, जो कोई निजी समारोह नहीं था। मुझे लगता है कि सरकार को इस मामले में बहुत कड़ा रुख अपनाना चाहिए। तिवारी से पूछा गया कि क्या पार्टी इस मामले में सरकार से मांग करेगी कि वह इस मुद्दे को चीन के समक्ष उठाए, इस पर उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय को देखना है कि इस मामले को किस तरह सबसे अच्छे तरीके से उठाया जा सकता है। मुझे पूरा विश्वास है कि विदेश मंत्रालय इसका ध्यान रखेगा और जो जरूरी होगा, करेगा। वहीं विदेश राज्य मंत्री प्रणीत कौर ने संसद के बाहर संवाददाताओं से कहा कि सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से ले रही है। पाकिस्तान की राह पर चलते हुए चीन ने पिछले कुछ दिन से जम्मू-कश्मीर के लोगों को वीजा जारी करने से मना कर दिया है। चीन इस प्रदेश को विवादित मान रहा है और इसके चलते यहां के लोगों को एक सादे कागज पर नत्थी किया हुआ वीजा जारी कर रहा है, जिसे आव्रजन अधिकारी स्वीकार नहीं कर रहे।
भारत ने चीन के फैसले को उकसाने वाला माना है। क्योंकि अगस्त, 2009 में तत्कालीन जीओसी-इन-सी ईस्टर्नकमांड लेफ्टिनेंट जनरल वी.के.सिंह चीन गए थे। भारत का मानना है कि अगर चीन को ऐसे ऐतराज थे तब वी.के.सिंह की यात्रा पर भी सवाल उठने चाहिए थे क्योंकि ईस्टर्न कमांड संभाल रहे वी.के.सिंह के ही तहत अरुणाचल प्रदेश का इलाका आता है, जिस पर चीन समय-समय पर अपना दावा करता रहाहै।
चीन कश्मीर मुद्दे को लेकर भारत को घेरता रहा है। कुछ महीने पहले तक वह जम्मू-कश्मीर के निवासियों को उनका वीजा उनके पासपोर्ट पर चिपकाने के बजाय अलग पन्‍ने पर नत्‍थी कर देता था। भारत ने इस पर जबरदस्‍त आपत्ति की थी। चीन अरुणाचल प्रदेश के निवासियों को भी वीज़ा नहीं देता है। उसकी दलील है कि अरुणाचल प्रदेश के निवासी चीन के नागरिक हैं।

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