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Thursday, June 16, 2011

बच्चों के साथ ज्यादती है डराना-धमकाना


अक्सर माता-पिता अपने जिद्दी बच्चों को अनुशासन में रखने के लिए उन्हें डांटते हैं और कभी-कभार तो पिटाई भी कर देते हैं। भारत में ही नहीं, बल्कि दूसरे देशों में भी बच्चों को अनुशासित बनाए रखने के लिए उनके साथ सख्त बर्ताव किए जाने की खबरें पढऩे को मिलती रहती हैं। हाल ही में यूनिसेफ के एक अध्ययन में यह बात सामने आई कि हर चार में से तीन बच्चे माता-पिता के हिंसक व्यवहार और गुस्से को झेलते हैं। कई बच्चों को शारीरिक दंड भी दिया जाता है।
भारत में किए गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक बच्चों को अनुशासित करने के लिए उन पर चिल्लाना या दंड देना लगभग हर माता-पिता के लिए सामान्य बात है। उनका मानना है कि बच्चों को अगर अनुशासन में रखना है तो यह सब करना ही पड़ता है। कई अध्यापक तो आज भी बच्चों की पिटाई जरूरी मानते हैं मगर स्कूलों में इस पर पाबंदी के कारण अब वे ऐसा नहीं कर पाते।
मानसिक तरीके से बच्चों को अनुशासित करने के तरीके में जोर-जोर से उसका नाम लिया जाता है और फिर काफी बुरा-भला सुनाया जाता है। धमकी देना भी आम बात है। यह न सिर्फ भारत मिस्र, ब्राजील, फिलीपींस और अमेरिका जैसे विकसित देशों में भी होता है। भारत में 70 से 95 फीसदी अभिभावक अपने बच्चों पर चीखते-चिल्लाते देखे गए हैं। कुछ समुदायों में बच्चों को सार्वजनिक तौर पर धमकी भी दी जाती है कि उन्हें घर से बाहर निकाल दिया जाएगा या हॉस्टल भेज दिया जाएगा।
एक अध्ययन के अनुसार बच्चों को मानसिक रूप से प्रताडि़त करने के साथ-साथ शारीरिक दंड देना भी आम बात है। अगर ब्राजील और अमेरिका की बात करें तो वहां बच्चों की कमर के निचले हिस्से पर पिटाई की जाती है। जबकि भारत में बच्चों को थप्पड़ मारना आम बात है। छोटे शहरों की ज्यादातर माएं बच्चों को अनुशासन में रखने के लिए काफी आक्रामक हो जाती हैं। करीब 42 फीसदी माताएं तो शारीरिक दंड भी देती हैं। चीन में 48 फीसदी बच्चों (जो 14 साल से कम उम्र वाले हैं) को बोल कर अनुशासित किया जाता है वहीं 23 प्रतिशत बच्चों को शारीरिक दंड दिया जाता है। पंद्रह फीसदी बच्चे कठोर दंड पाते हैं।
बच्चों पर चीखना-चिल्लाना और उनके साथ मारपीट करने के पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे माता-पिता का ज्यादा पढ़ा-लिखा न होना, परिवार का निरक्षर होना, घर का माहौल खराब होना, बच्चों में किशोरावस्था के दौरान जिद्दीपन, शराबी पति का गाली-गलौज करना और घर के दूसरे सदस्यों से बुरा बर्ताव करना। इन सबका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ता है। भारत में करीब 39 फीसदी बच्चों को अनुशासित करने के लिए शारीरिक दंड दिया जाता है। इक्यासी प्रतिशत बच्चे मौखिक और मानसिक तौर पर दंडित किए जाते हैं। दस फीसदी से भी कम बच्चों को सामान्य तरीके से बात कर अनुशासित बनाने की कोशिश की जाती है। इसी तरह 89 फीसदी बच्चे ऐसे हैं जिन्हें अनुशासित करने के लिए माता-पिता कठोर बर्ताव करते हैं।
यूनिसेफ चाइल्ड प्रोटेक्शन के सर्वे में यह बात सामने आई है कि घर में बच्चों साथ हो रहे बुरे व्यवहार को अक्सर छिपाया जाता है। अध्ययन के अनुसार अगर कोई यह माने कि वह अपने बच्चों के साथ घर में बुरा व्यवहार करता है या वह बच्चों से बात करते समय हिंसक हो उठता है तो यह स्थिति न सिर्फ परेशानी का कारण बनेगी बल्कि समाज में परिवार की बदनामी भी होगी। बच्चों के लिए थोड़ी सी सजा उनके कोमल बचपन के लिए हानिकारक होती है। वह उनके विकास में बाधा डालती है। भविष्य में उनमें हिंसात्मक प्रवृत्ति बढ़ाने में भी मदद करती है। बच्चे की हंसी उड़ाना, उसे धमकाना आदि उनके बचपन के साथ ज्यादती है।

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