सोने की चिडिय़ां कहलाने वाला भारत देश और इसी देश को फिर से सोने की चिडिय़ां बनाने की मुहिम में हिस्सा ले रहे बाबा रामदेव और उनके करोड़ों समर्थकों को ऐसी उम्मीद तक नहीं थी कि देर रात्रि को सरकार ऐसा फैसला करेगी और सभी के साथ-साथ बाबा को अपने कपड़े उतारकर माताओं-बहनों के कपड़ों में जान बचाकर छुपना पड़ा। बाबा ने बाद में खुद दिल ठोककर कहा कि मुझे मार डालने की साजिश रची जा रही थी और उधर पंडाल में सभी पर लाठियां, पत्थर, आंसू गैस के गोल, पंडाल में आग से बाबा के समर्थकों को जुझना पड़ा। क्या सरकार काले धन को वापिस नहीं लाना चाहती है। क्या सरकार का भी बाहर के देशों में काला धन है या फिर सरकार बाबा रामदेव को मारकर मामले को जबरन दबा देना चाहती है। जब से बाबा रामदेव अनशन पर बैठे थे तभी से लेकर अभी तक माता जी और सरदार जी का कोई भाषण या किसी प्रकार की टिप्पणी नहीं आई। या फिर यूं कहिए की सरकार बाबा रामदेव जैसे करोड़ों भक्तों से डर कर यह कदम उठाया है। इतना कुछ होने के बाद भी भारत माता के लाल सौ रहे हैं। उन्हें आखिर कब तक नींद आएगी और कैसे उनकी नींद को तोड़ा जा सकता है। एक ओर इतना कुछ हो रहा है और दूसरी ओर भारत माता के लाल सौ रहे हैं। उनके जागने का समय आ गया है। उन्हें इस मामले को पूरजोर उठाना चाहिए। बाबा के साथ पूरे भारत देश को कंधे-से-कंधा मिलाकर चला चाहिए जब जाकर कुछ हो सकता है, वरना एक हाथ से ताली कभी-भी नहीं बजती है। इसी घटना के बाद आज सुबह पूर्व रेल मंत्री लालू जी का ब्यान सुनने को मिला तो उन्होंने कहा कि ऐसे अनशन की आंच से सभी अपने-अपने काले धन को इधर का उधर कर सकते हैं तो ऐसे में काला धन गायब ही हो जाएगा। फिर उसे राष्ट्रीय संपत्ति घोषित कैसे करेंगे। लगता है लालू जी का भी काफी सारा माल बाहर बंद है। उन्हें भी अब बाबा जी से डर लगने लगा है। बाबा का तहेदिल से साथ देने वाली भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने पिछले दिनों कहा था कि गांधी परिवार का बाहर के बैंकों में काला धन जमा है। इस भाषण के शाम होते ही उन्होंने मैडम जी से लिखित में माफी मांगी। उन्हें ब्यान देने के बाद माफी की जरूर क्या पड़ी कहीं इस घेरे में आडवाणी जी भी तो नहीं आते और हो सकता है मैडम जी के पास आडवाणी के खिलाफ काले धन का सबूत हो, लेकिन यह भी हो सकता है कि आडवाणी जी के पास मैडम जी के खिलाफ सबूत ना हो। कहावत है ना की हमाम में सभी नंगे होते हैं। तो फिर क्या मैडम जी, क्या आडवाणी और क्या अन्ना हजारे जोकि लोकपाल बिल में शामिल सदस्य पहले से ही विवादों में घेरे में रहे हैं।
जरा सोचिए बाबा अब दिल्ली में कांग्रेस की सरकार से दूर उत्तराखंड में भाजपा की सरकार के क्षेत्र में है। यदि भाजपा चाहे तो अपने राज्य की सरकार के क्षेत्र में किसी को घूसने तक ना दे। बाबा रामदेव को पकड़कर उन्हें उन्हीं के पंतजलि पीठ पर ही क्यों छोड़ा गया क्योंकि वहां भाजपा की सरकार है उन्हें दिल्ली में अनशन पर बैठे देकर घबराहट हो रही थी। बाबा अब क्या कदम उठाएंगे यह अभी भविष्य के गर्भ में है।
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