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Friday, September 23, 2011

बेसिक साइंस में है दम...


"बेसिक साइंस में जबरदस्त दम है। बीटेक की बात छोडिए.. अब कई नामचीन कम्पनीज अपने यहां बीएससी के स्टूडेंट्स को मौका दे रही हैं। स्टूडेंट्स को यदि कॅरियर की राह पकड़नी है तो यह सबसे अच्छा रास्ता है और देश के लिए कुछ करना हो तो भी साइंस रिसर्च महत्वपूर्ण है।"
देश के नामचीन संस्थानों में शामिल टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च मुम्बई के एटोमिक और मोलिक्यूलर साइंस के सीनियर प्रोफेसर डॉ. दीपक माथुर ने मंगलवार को जयपुर में यह बात कही। राजस्थान यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर डवलपमेंट ऑफ फिजिक्स एजुकेशन में डीएसटी की ओर से प्रायोजित "इंस्पायर कैम्प" में स्कूली बच्चों से मुखातिब हुए माथुर ने स्टूडेंट्स को बेसिक साइंस का महत्व बताते हुए इसमें जॉब अपॉच्र्यूनिटीज के बारे में जानकारी दी। पांचवें इंस्पायर कैम्प में राज्य के नवोदय विद्यालयों के स्टूडेंट्स शामिल हुए हैं।
विभिन्न तकनीकी सत्रों में पीलीभीत से आए डॉ. लक्ष्मीकांत और डॉ. उर्मिला शर्मा ने लाइव डेमोंस्ट्रेशन कर चमत्कारों की वैज्ञानिक सच्चाई बताई। जूलॉजी विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. पी. के. गोयल ने स्टूडेंट्स को कॅरियर की दृष्टि से इस संकाय का महžव बताया। स्टूडेंट यदि बेसिक साइंस में आता है, तो जॉब तो मिलता ही है, साथ ही उस छात्र का नॉलेज लेवल बढ़ जाता है।
मापदंडों का पालन जरूरी
देश के हर बड़े शहर में अब दर्जनों बीटेक कॉलेज खुल गए हैं। जबरदस्त आक्रामक मार्केटिंग के चलते ये बच्चों को अपनी और लुभा रहे हैं, जबकि वहां स्तरीय शिक्षा नहीं मिल पा रही है। प्रो. दीपक माथुर का कहना है कि इन संस्थानों में स्टूडेंट्स के साथ धोखा हो रहा है। शायद ही किसी संस्थान में फैकल्टी के योग्यता मापदंडों का पालन किया जा रहा है।
लिंक जुड़े तो बदले तस्वीर
प्रो. माथुर ने बताया कि विज्ञान के क्षेत्र में विशेष कार्य कर रहे देश के नामचीन संस्थानों का यूनिवर्सिटीज से लिंक टूटा हुआ है। यह लिंक होना जरूरी है। इस वजह से ही यूनिवर्सिटीज के स्टूडेंट्स को कम अवसर मिलते हैं। अगर एक बार यह लिंक बन गया तो साइंस एजुकेशन की तस्वीर में बदलाव होगा और स्टूडेंट्स को फायदा मिलेगा।

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