Friday, September 23, 2011
चरित्र में दृढ़ता, विचारों में प्रतिबद्धता लाएं
आज मुझे फिल्मी गीत की एक पंक्ति याद आ रही है, जिसे मैं आपके साथ शेयर करना चाहूंगा। इस गीत की पहली लाइन है-"जीवन चलने का नाम, चलते रहो सुबह-ओ शाम।" कितनी सुन्दर पंक्ति है यह। थम जाने के बाद तो जीवन खत्म ही हो जाता है, फिर चाहे हमारा सीना सांस के आने-जाने से धौकनी की तरह फूलता-पिचकता ही क्यों न रहे। जब यहां मैं चलने की बात कह रहा हूं, तो वह शरीर के ही चलने की बात नहीं है, बल्कि उससे भी कहीं अधिक चेतना के चलने की बात है।
यह ऎसे चलने की बात है, जहां हम कहीं भी न तो थककर बैठते हैं और न ही घबराकर अपना रास्ता छोड़ देते हैं। यह वह चलना है, जब जीवन के हर पल को हम पूरे उल्लास से जीने की कोशिश करते हैं और यहां तक कि तब भी, जबकि हमें मालूम है कि अगले ही पल मृत्यु होने वाली है। मृत्यु के अंतिम क्षण तक को अपने कर्म से पकड़ लेना सही मायने में जिन्दगी भर चलते चले जाना है। तो इसके बारे में मैं आपको इतिहास की एक ऎसी सच्ची घटना सुनाने जा रहा हूं, जिस पर विश्वास करना थोड़ा मुश्किल होता है।
सनाका रोम के महान दार्शनिक और सम्राट नीरो के गुरू थे। उन्होंने नीरो को सम्राट बनाने में उसकी मां की मदद भी की थी। नीरो को शक हो गया कि उसके राजगुरू सनाका उसके विरूद्ध षडयंत्र कर रहे हैं। नीरो ने सनाका को राजदरबार में नस काटकर बूंद-बंूद रक्त के बहने से होने वाली मौत की सजा दी। सनाका ने घर जाकर परिवार से विदा लेना चाहा। लेकिन नीरो ने इसकी तक इजाजत नहीं दी। सनाका ने कहा-""दर्शन की पुस्तके मंगवा दो।"" उनकी यह इच्छा भी ठुकरा दी गई। तब उन्होंने अपने शिष्यों को बुलाकर कहा-""आ जाओ! हम दर्शन पर यहीं चर्चा करेंगे। इससे अच्छा अवसर भला और क्या होगा।"" सचमुच, मुझे विश्वास ही नहीं होता ऎसे लोगों के बारे में सुनकर कि ये सब किस धातु के बने हुए होंगे? कैसा होगा इनका मन और इनकी आत्मा कितनी अधिक शक्तिशाली होगी। ये वे लोग थे, जिन्हें यमराज तक नहीं डरा सका फिर भला जीवन की अन्य परेशानियां तो इन्हें क्या डरा पातीं।
महान दार्शनिक सुकरात और सनाका जैसे लोगों में यह जो शकित आती है, यह मूलत: उनके चरित्र की दृढ़ता और अपने विचारों की प्रतिबद्धता के कारण आती है। यदि हम अपने उद्देश्यों के प्रति संकल्पबद्ध हो जाते हैं, और संकल्पबद्ध होकर उसमें अपने-आपको पूरी तरह झोंक देते हैं, तो हमारे लिए कोई भी भय, भय नहीं रह जाता। हम अभय हो जाते हैं। तभी तो प्रेम दीवानी मीरा के लिए जहर का प्याला भी अमृत का प्याला बन गया था। मुझे लगता है कि हमें भी अपने जीवन में आत्मा की इस शक्ति को पाने के प्रयास करने चाहिए। ऎसा हो सकता है, इसमें कतई सन्देह नहीं है। अपनी चेतना में सात्विक भावों को स्थान देकर धीरे-धीरे हम इस स्थिति को प्राप्त कर सकते हैं।
नौकरी ढूंढना हुआ आसान
नौकरी के लिए कोई एंप्लॉयमेंट एक्सचेंज में नाम लिखवाता है तो कोई जॉब सर्चिग साइट्स पर खुद को रजिस्टर करता है। क ोई लगातार अखबारों में नौकरियों की तलाश करता है तो कोई मैगजीन्स में छपे जॉब एलर्ट खंगालता रहता है। नौकरी के लिए मची मारामारी में सही व्यक्ति तक उसकी योग्यता के अनुसार उपलब्ध नौकरी की सूचना पहुंच जाए यह आसान भी नहीं। क्योंकि अक्सर कम पढ़े लिखे और गरीब लोगों की पहुंच इन सारे माध्यमों तक भी मुश्किल ही होती है। इन समस्याओं को समझते हुए बंग्लोर के सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल ने एक ऎसा डिवाइस तैयार किया है जो एंप्लाई और एंप्लायर के बीच उपलब्ध नौकरियों से संबंधी सीधा संवाद स्थापित करता है, और वह भी बिना किसी जटिलता के।
अचानक मिली प्रेरणा
इस मशीन को बनाने की प्रेरणा राजन को उस समय मिली जब उन्हें एक कुक की तलाश थी। पास ही के किसी व्यक्ति ने उन्हें एक बूढ़ी औरत के बारे में बताया था, जिसे काम की जरूरत थी। वह उस व्यक्ति को अपना नंबर बूढ़ी औरत को देने का कह कर चला आया। लेकिन उस औरत से संपर्क ही दो सप्ताह के बाद हो सका। जब उसने राजन को फोन किया तब वह कुक रख चुका था। इस घटना ने राजन को सोचने पर मजबूर कर दिया कि शायद उस औरत को उस वक्त इस फोन कॉल के पैसे जुटाने में भी परेशानी उठानी पड़ी हो। तो ऎसा क्या जरिया हो सकता है जिससे एक गरीब व्यक्ति तक नौकरी की जानकारी समय रहते पहुंचाई जा सकें।
डिवाइस बनेगी मददगार
इस डिवाइस के लिए फ्री यूजर आईकार्ड बनवाते समय यूजर को अपने काम के बारे में बताना होगा। अपने पेशे की सही जानकारी देने से उन तक पहुंचने वाली नौकरियों को कैटेगराइज किया जा सकेगा। जैसे कोई माली होगा तो कोई नाई, कोई होम सर्वेँट होगा तो कोई धोबी। कॉलसेंटर डाटा बेस के जरिए उनके पेशों का रिकार्ड रखा जाएगा। इससे होगा यह कि जब अगली बार कोई व्यक्ति अपना यूजर कार्ड इंसर्ट करवाएगा, उसे उसकी योग्यता के अनुसार उपलब्ध नौकरियों की जानकारी मिल जाएगी।
ज्यादा नहीं कीमत
फिलहाल तो यूजर्स को मत्थुकत्थे के लिए कुछ भी भुगतान नहीं करना प्रड़ रहा, लेकिन आने वाले समय में प्रोजेक्ट के प्रसार के लिए रेवन्यू जुटाने के लिए यूजर्स को एक छोटी सी फीस देनी होगी। ताकि इसका और प्रसार किया जा सके। शुरूआती दौर में मत्थुकत्थे को बंग्लौर के मल्लेस्वर्म इलाके में लगाने की योजना है। साथ ही इसके पड़ोसी इलाक को भी इस डिवाइस से जोड़ा जाएगा। बस स्टैण्ड के पास लगाए जाने वाले इन बूथों तक ज्यादा से ज्यादा यूजर्स की पहुंच सुनिश्चित की जाने की योजना है।
एक नया प्लेटफार्म
अपने काम के लिए एंप्लाई तलाशने वाले लोगों के लिए यह एक नए प्लेटफार्म के रूप में है। एंप्लायर्स कॉल सेंटर को संपर्क करके अपने यहां उपलब्ध नौकरियों की लिस्टिंग करवा सकते हैं। इन नौकरियों की जानकारी मत्थुकत्थे के माध्यम से लोगों तक पहुंचाने का काम कॉल सेंटर करेगा। उपलब्ध रिक्ति की लिस्टिंग कराने में 150 रूपए की फीस एंप्लायर से ली जाएगी। इसके बाद मौजूद डाटा बेस के हिसाब से नौकरियों को वर्गीकृत किया जाएगा। फिर रजिस्टर्ड लोगों के प्रोफेशन्स के हिसाब से उन्हें उनकी योग्यता के आधार पर नौकरियों की सूचना मत्थुकत्थे के जरिए पहुंचा दी जाएगी।
क्या है यह डिवाइस
नंदन राजन ने एक ऎसा डिवाइस तैयार किया है जो दिखने में एक बक्से जैसा है और उसमें सिर्फ दो ही बटन हैं। एक हरा और एक लाल। डिवाइस का नाम मत्थुकत्थे है, जिसका कन्नड़ में अर्थ है बातचीत। इसे एक पब्लिक टेलीफोन की तरह प्रयोग किया जा सकता है। प्रयोग करने के लिए आपको एक मत्थुकत्थे आईकार्ड बनवाना होगा। इस कार्ड को इन्सर्ट करवाने से आपकी योग्यता अनुसार नौकरी से संबंधित सूचनाएं मिल सकती हैं।यह डिवाइस प्रयोग करने में सरल और सस्ती है। इस डिवाइस के चालू हो जाने पर इसमें रिकार्डिड आवाज के जरिए ऑप्शन चुनने के लिए कहा जाता है। स्वीकार करने के लिए हरे तथा दूसरे ऑप्शन पर जाने के लिए सिर्फ लाल बटन दबाना है।
बेसिक साइंस में है दम...
"बेसिक साइंस में जबरदस्त दम है। बीटेक की बात छोडिए.. अब कई नामचीन कम्पनीज अपने यहां बीएससी के स्टूडेंट्स को मौका दे रही हैं। स्टूडेंट्स को यदि कॅरियर की राह पकड़नी है तो यह सबसे अच्छा रास्ता है और देश के लिए कुछ करना हो तो भी साइंस रिसर्च महत्वपूर्ण है।"
देश के नामचीन संस्थानों में शामिल टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च मुम्बई के एटोमिक और मोलिक्यूलर साइंस के सीनियर प्रोफेसर डॉ. दीपक माथुर ने मंगलवार को जयपुर में यह बात कही। राजस्थान यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर डवलपमेंट ऑफ फिजिक्स एजुकेशन में डीएसटी की ओर से प्रायोजित "इंस्पायर कैम्प" में स्कूली बच्चों से मुखातिब हुए माथुर ने स्टूडेंट्स को बेसिक साइंस का महत्व बताते हुए इसमें जॉब अपॉच्र्यूनिटीज के बारे में जानकारी दी। पांचवें इंस्पायर कैम्प में राज्य के नवोदय विद्यालयों के स्टूडेंट्स शामिल हुए हैं।
विभिन्न तकनीकी सत्रों में पीलीभीत से आए डॉ. लक्ष्मीकांत और डॉ. उर्मिला शर्मा ने लाइव डेमोंस्ट्रेशन कर चमत्कारों की वैज्ञानिक सच्चाई बताई। जूलॉजी विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. पी. के. गोयल ने स्टूडेंट्स को कॅरियर की दृष्टि से इस संकाय का महžव बताया। स्टूडेंट यदि बेसिक साइंस में आता है, तो जॉब तो मिलता ही है, साथ ही उस छात्र का नॉलेज लेवल बढ़ जाता है।
मापदंडों का पालन जरूरी
देश के हर बड़े शहर में अब दर्जनों बीटेक कॉलेज खुल गए हैं। जबरदस्त आक्रामक मार्केटिंग के चलते ये बच्चों को अपनी और लुभा रहे हैं, जबकि वहां स्तरीय शिक्षा नहीं मिल पा रही है। प्रो. दीपक माथुर का कहना है कि इन संस्थानों में स्टूडेंट्स के साथ धोखा हो रहा है। शायद ही किसी संस्थान में फैकल्टी के योग्यता मापदंडों का पालन किया जा रहा है।
लिंक जुड़े तो बदले तस्वीर
प्रो. माथुर ने बताया कि विज्ञान के क्षेत्र में विशेष कार्य कर रहे देश के नामचीन संस्थानों का यूनिवर्सिटीज से लिंक टूटा हुआ है। यह लिंक होना जरूरी है। इस वजह से ही यूनिवर्सिटीज के स्टूडेंट्स को कम अवसर मिलते हैं। अगर एक बार यह लिंक बन गया तो साइंस एजुकेशन की तस्वीर में बदलाव होगा और स्टूडेंट्स को फायदा मिलेगा।
यह सब होना चाहिए रेज्युमे में
बहुत से शोधों से पता चला है कि किसी एक वैकेंसी के लिए कंपनी या एम्प्लॉयर के पास करीब 500 रेज्युमे आते हैं। एक रेज्युमे पर नजर डालने के लिए रिक्रूटर के पास औसतन 30 से 40 सेकंड होते हैं। इस लिहाज से देखा जाए तो रिक्रूटर या कंपनी के एच आर को इंप्रेस करने के लिए आपके रेज्युमे के पास ज्यादा से ज्यादा आधा मिनट होता है। ऎसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि हमारे रेज्युमे में ऎसा क्या खास हो कि वह अन्यों के मुकाबले में रिक्रूटर या एच आर का ध्यान खींचने में सफल हो सके।
पहली और अहम बात तो यह है कि योग्यता साबित करने के लिए रेज्युमे प्रभावशाली होना चाहिए। एक अच्छे रेज्युमे का यह गुण होता है कि वह आपकी गैरमौजूदगी में आपकी तरफदारी करता है, दूसरी ओर एक कमजोर रेज्युमे रिक्रूटर की निगाहों में आप्रांसगिक बना देता है। सो , जाने उन बातों को जिनको ध्यान में रखने से रेज्युमे बनता है , प्रभावशाली।
डिटेल्स:छोटा पर पूरा हो विवरण
रेज्युमे बनाते वक्त लेफ्ट साइड में सबसे ऊपर नाम लिखना चाहिए और उसके ठीक नीचे अपनी ईमेल आईडी और उसके नीचे फोन नंबर। कई लोग नाम के साथ ही जेंडर भी लिख देते हैं ऎसा न करें। जेंडर व्यक्तिगत सूचना वाले कॉलम में लिखें। रेज्युमे में ऎसी आईडी न दें जो देखने में अजीब लगे। आईडी बिल्कुल सादा होनी चाहिए।
अड्रेस: पत्राचार हेतु पता
टॉप राइट साइड में हमेशा पत्राचार करने हेतु वाला पता दिया जाना चाहिए। इससे रिक्रूटर को पत्राचार करने में सुविधा होती है। उसे इसे रेज्यूमे में तलाशना नहीं पढ़ता है।
ऑब्जेक्टिव: साफ और स्पष्ट
ऑब्जेक्टिव हमेशा छोटा, सादा और सीधा हो। साफ और कम शब्दों में यह बताएं कि आप कंपनी के लिए कैसे फायदेमंद हो सकते हैं। इसके लिए अपनी स्किल्स का हवाला दे सकते हैं।
शैक्षिक योग्यता: टू द प्वाइंट
योग्यता बताते वक्त रिवर्स कोनोलॉजी
का इस्तेमाल करे। लेटेस्ट `ॉलिफिकेशन सबसे पहले लिखें और फिर नीचे की तरफ बढ़ते जाएं।इसका उल्लेख करते समय यह ध्यान रखें कि आप किसी पोस्ट के एप्लाय कर रहे हैं।
अनुभव: संक्षिप्त और क्रमानुसार
कुल अनुभव वर्षो में बता सकते हैं। अनुभव के बारे में बताते हुए जिस कंपनी में अभी काम कर रहे हैं, वह सबसे ऊपर, उसके बाद उससे पहले के अनुभवों का जिक्र करें। इसके अलावा निभाए गए अहम प्रॉजेक्ट्स का जिक्र कर सकते हैं।
व्यक्तिगत सूचनाएं:
रेज्युमे के सबसे अंत में आप अपने पिता और माता का नाम, डेट ऑफ बर्थ, मैरिटल स्टेटस भी देना चाहिए। डेट ऑफ बर्थ बताते वक्त साथ में यह भी लिख दें कि वर्तमान में आप कितने वर्ष के हैं।
सिर्फ बर्थ ईयर से आपकी उम्र पता करने में कैलकुलेशन करनी होगी, जिसके लिए एम्प्लॉयर के पास वक्त नहीं होता। इसी तरह मैरिटल स्टेटस की जानकारी भी देनी चाहिए। इसके अलावा अपनी रूचियों का विवरण भी देना चाहिए।परमानेंट अड्रेस भी देना चाहिए।
इनका ध्यान रखे हर दम
1. फॉन्ट का प्रयोग
याद रखें कि पूरे रेज्युमे में ज्यादा से ज्यादा दो फॉन्ट का ही प्रयोग करना चाहिए। फॉन्ट साइज आसानी से पढ़ने में आना चाहिए। इसे 10 रख सकते हैं।
2. बोल्ड ,अंडरलाइन, इटैलिक
शब्दों को बोल्ड, अंडरलाइन या इटैलिक जरूरत से ज्यादा न करें। वाक्यों के बीच गैप भी ठीकठाक हो। याद रखिए एम्प्लॉयर को अगर उन्हें पढ़ने में दिक्कत हुई तो उन्हें आगे बढ़ते देर नहीं लगती।
3. आकार
रेज्यूमे का आकार इंडस्ट्री और अनुभव पर निर्भर करता है। दो पेज से बडे रेज्यूमे बनाने से बचना चाहिए।
4. सीधी सपाट हो भाषा
पूरे रेज्युमे की भाषा सीधी और सपाट रखें। तथ्यों को गोलमोल घुमाकर न रखें।
5. ज्यादा मैं,मैं नहीं
आई, माई, मी जैसे शब्दों का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल न करें। अपने बारे में ज्यादा बखान करने का रिक्रूटर पर बैड इंप्रेशन पड़ता है।
6. रेफरेंस कहने पर ही दें
रेफरेंस का जिक्र तब तक न करें, जब तक निर्देश न दिए गए हो। ऎसे लोगों को तैयार जरूर रखें, जो आपको अच्छी तरह जानते हों। मांगने पर उनका जिक्र करें ,साथ उनका संपर्क नबंर भी दें।
7. ग्रामर व स्पेलिंग गलत न हो
स्पेलिंग पूरी लिखें। प्रूफ रीडिंग जरूर करा लें। पंच्चुएशन का खास ध्यान रखें। ग्रामर के मामले में बहुत सावधान रहने की जरूरत है।
8. फोटो न लगाएं
फोटो न लगाएं क्योंकि जिस साइज में आप फोटो पेस्ट करेंगे, वह न तो क्वालिटी में अच्छा आएगा और न देखने में। जाहिर है इसका अच्छा इंप्रेशन भी नहीं पड़ेगा।
कृषि में बनाएंं कैरियर
कृषि प्रधान होने के कारण भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र का योगदान सबसे ज्यादा है। इसी कारण देश का आधा से ज्यादा श्रमिक वर्ग इस क्षेत्र से जुड़ा है। कृषि के मूलभूत भाग खेती को अलग कर दिया जाए तो इससे जुड़े कई ऐसे क्षेत्र हैं जिसमें कैरियर की अपार संभावनाएंं हैं।
अगर कोई विद्यार्थी कृषि क्षेत्र में कैरियर बनाने का विचार कर रहा है तो उसके लिए कई विकल्प उपलब्ध है जैसे बागवानी, दुग्ध उत्पादन क्षेत्र, मुर्गी पालन, पशु पालन, मछली पालन इत्यादि।
बागवानी भारत में विभिन्न प्रकार की मिट्टी और तरह-तरह के वातावरण के कारण यहां की धरती बागवानी के उपयुक्त फसलों के विकास के लिए अनुकूल है। बागवानी के तहत कई सब्जियों और फलों के खेतों की देखभाल की जाती है। बागवानी से भारत के कई ग्रामीण इलाकों को फायदा हुआ है।
इसमें कई ग्रामीण मजदूरों को रोजगार के अवसर मिलते हैं साथ ही ये आय का एक प्रमुख जरिया भी है। भारत में कुल २८.२ मिलियन टन फलों और ६६ मिलियन टन सब्जियों का बाजार है। सब्जियों और फलों के उत्पाद में भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश है। सब्जियों और फलों को न केवल निजी उपभोग के लिए ही नही बल्कि अन्य उत्पादों के लिए भी उपयोग किया जाता है। इसीलिए यह उद्योग काफी बड़ा है।
दुग्ध उत्पादन (डेरी टेक्नोलॉजी)रू डेयरी ऐसी जगह है जहां दूध और दूध से बने उत्पादों की देखरेख होती है। यहां कई अत्याधुनिक तकनीकों के जरिए दूध, मख्खन, दही, घी, चीज, आइक्रीम आदि का उत्पादन किया जाता है। पिछले कई दशकों में दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में अभूत्पूर्व विकास हुआ है। भारत विश्व भर के दिग्ग्ज दुग्ध उत्पादक देशों के शीर्ष पर है। अनेक राज्यों में दुग्ध उत्पादन से जुड़े को-ऑपरेटिव खुल जाने से इस क्षेत्र का डेयरीरी क्षेत्र खूब फला-फूला है। देश में पशुओं की संख्या इस क्षेत्र के विकास का आधारस्तंभ है। आनंद मिल्क यूनियन लिमिटेड (अमूल) ह्लह्लह्ल.ंउनस.बवउ जैसी दुग्ध उत्पादक संस्थाओं ने डेयरी उद्योग में क्रांति लाकर इस क्षेत्र को एक नई दिशा दी है। पशुओं की संख्या बढ़ाना, अच्छी नस्लों के पशुओं को इस क्षेत्र में शामिल करना जिससे बढि़या उत्पाद मिल सके ये हेतु से ग्रामीण विभागों को ही विकास की दृष्टि से चुना गया है।
शिक्षा के अवसररू नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीटयूट (करनाल और बैंगलोर)
डिप्लोमा स्तर के कोर्स उपलब्ध करवाने वाले संस्थान हैं
१- डेयरी साइंस इंस्टीटयूट (आरे, मुम्बई)
२- इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टीटयूट (इलाहाबाद)
३- स्टेट इंस्टीटयूट ऑफ डेयङ्क्षरग (हङ्क्षरघाटा, पश्चिम बंगाल)
आईआईटी (खडग़पुर) ह्लह्लह्ल.पपजाहच.मतदमज.पदध् में डेयरी इंजीनियङ्क्षरग और डेयरी टेक्नोलॉजी में पीएचडी कोर्स के अलावा डेयरी इंजीयङ्क्षरग में बीटेक और एमटेक के कोर्स भी उपलब्ध कराए जाते हैं। इस क्षेत्र में अध्ययन करने के बाद आपको कृषि से जुड़े बैंकों और दुग्ध उत्पादक इकाइओं में डेयरी टेक्नोलॉजिस्ट के रूप में कार्य कर सकते हैं। आप नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीटयूट से इसका अध्ययन कर सकते हैं।
मुर्गी पालनरू आजादी के बाद मुर्गी पालन क्षेत्र में काफी विकास हुआ है। खासतौर पर पिछ्ले दो दशकों में भारतीय मुर्गी पालन क्षेत्र में १५ से २० प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और यह व्यापार कुल मिलाकर ६५ बिलियन रुपए का हो गया है। घरेलू बाजार का बढ़ता दायरा, तेजी से हो रहे औद्योगिकरण और आॢथक उदारीकरण ने इस क्षेत्र में विकास की असीमित संभावनाओं के द्वार खोल दिए हैं।
अंडों का उत्पाद सालाना ८ से १० प्रतिशत बढ़ा है और दुनिया में अंडा उत्पादक देशों की फेहरिस्त में भारत का स्थान पाचवां है।
भारत में जहां मुर्गी पालन से संबंधित प्रशिक्षण दिया जाता है वह हैरू डॉ. बी.वी. राव इंस्टीटयूट ऑफ पोल्ट्री मैनेजमेंट एंंड टेक्नोलॉजी, उरुली कंचन, ४१२२०२, पुणे।
योग्यता
इनमें से किसी भी कोर्स करना हो तो प्रवेश पाने के लिए उम्मीदवारों का विज्ञान विषय से १०़२ होना जरूरी है और ४ साल के कृषि में बीएससी कोर्स के लिए प्रवेश परीक्षा उत्तााह्म्र्ण करना जरूरी है। प्रवेश परीक्षा में आपका विषय होना चाहिए फिजिक्स, केमेस्ट्री, बायोलॉजी और मैथ्स या एग्रीकल्चर।
कृषि में एमएससी करने के लिए बीएससी में अच्छे अंक प्राप्त करना जरूरी है। आपके पास किसी एक विषय में विशेषज्ञता हासिल करने का विकल्प भी है जैसे बागवानी (हॉॢटकल्चर), कृषि अर्थशा एग्रीकल्चर इकोनोमिक्स, एग्रीकल्चर केमेस्ट्री, पशु पालन इत्यादी।
रोजगार की संभावनाएंं कृषि क्षेत्र को कैरियर के रूप में चुनने वाले विद्याॢथयों के लिए निम्नलिखित क्षेत्रों में रोजगार की संभावनाएंं होती हैं
१- कृषि से संबंधित उद्योगों में जैसे फसलों की उत्पादक प्रक्रिया से जुड़े उद्योग, बीज उत्पादक कम्पनियां, शोध करने वाले संगठन आदि।
२- दुग्ध और खाद्य उत्पादन से संबंधित उद्योग
३- केंद्र और राज्य के कृषि विश्वविद्यालय के विभाग
इसके अलावा कई ऐसे गैर सरकारी संगठन हैं जो कृषि संबंधित कार्यों से जुड़े हैं। ये खासतौर पर ग्रामीण भागों में कार्यरत हैं जो कृषि में स्नातकोत्तार छात्रों को रोजगार मुहैय्या कराते हैं।
नाबार्ड जैसे ग्रामीण भागों के विकास से जुड़े बैंकों में द्वारा आपको ग्रामीण बैंकों में अधिकारी पद पर रोजगार के अवसर मिल सकते हैं।
आप कृषि वैज्ञानिक के रूप में कई कृषि से संबंधित शोध संगठनों में शोध कार्य कर सकते हैं। देश में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ाह्म्जजचरूध्ध्ह्लह्लह्ल.पबंत.वतह.पदध् जैसे कई शोध संगठन हैं। भारतीय खाद्य संगठन जैसी अन्य सरकारी और राज्य स्तर के विभागों और निदेशालय में बीज उत्पादन अधिकारी, कृषि संबंधित कार्यों में सहायक, फार्म सुपिङ्क्षरटेंनडेंट और ऐसे ही अन्य आधिकारिक पदों पर आपकी नियुक्ति हो सकती है।
कृषि से संबंधित कुछ इंस्टीटयूट-
१- कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चरल इंजीनियङ्क्षरग एंंड टेक्नोलॉजी, डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विद्यापीठ देशमुख कृषि विद्यापीठ, पी.ओ. कृषिनगर, अकोला ४४४१०४।
२- इलाहाबाद एग्रीकअल्चर इंस्टीटयूट, एग्रीकल्चर, इलाहाबाद, उत्तार प्रदेश
३- आनंद निकेतन कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर, मूॢतजापुर रोड, कृषि नगर, अकोला, महाराष्ट्र
४- गुजरात एग्रीकल्चर यूनिवॢसटी, कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चरल, जूनागढ, गुजरात
५- इंस्टीटयूट ऑफ एग्रीकल्चर, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवॢसटी, अलीगढ़ २०२ ००२
६- केरल एग्रीकल्चर यूनिवॢसटी, वेल्लानिक्कारा, केरल ६८०६५४ फोन नम्बररू०४८७- ३७०८२२
७- कोंकण कृषि विद्यापीठ , दापोली, कोंकण, महाराष्ट्र ४१५७१२।
८- कैरी इंस्टीटयूट ऑफ हॉॢटकल्चर, कोलकाता, पश्चिम बंगाल, ७०००२७।
९- गुरू नानक देव यूनिवॢसटी, खालसा कॉलेज, अमृतसर, पंजाब
१०- कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर पिलोकोड, निलेशवर, केरल फोन नम्बररू ०४९९-७८०६१६।
११- इंस्टीटयूट ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेस, फैकल्टी ऑफ एग्रीकल्चर एट बीएचयू, वाराणसी
१२- कोंकण कृषि विद्यापीठ, कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर, दापोली, रत्नागिरी, महाराष्ट्र
१३- गुजरात एग्रीकल्चरल यूनिवॢसटी, एनएम कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर, नवसारी, वलसाड़, गुजरात
१४- नॉर्थ- ईस्टर्न हिल यूनिवॢसटी स्कूल ऑफ एग्रीकल्चरल साइंस एंंड रूरल डेवलपमेंट मेडीपेम, नागालैंड
१५- शेर-ए-कश्मीर यूनिवॢसटी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेस एंंड टेक्नोलॉजी, शालीमार कैम्पस, श्रीनगर- १९११२१ध् कैम्प ऑफिसरू रेलवे रोड, जम्मू-१८० ००४
१६- श्री दुर्गाली पी.जी. कॉलेज, चंदेसर, आजमगढ़, उत्तार प्रदेश
१७- मोहनलाल सुखाडिया, यूनिवॢसटी ऑफ राजस्थान कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर, उदयपुर, राजस्थान
१८- आंध्र प्रदेश एग्रीकल्चरल यूनिवॢसटी, राजेंद्र नगर, हैदराबाद ५०००३०
रियल एस्टेट में कैरियर
बदलते वक्त के साथ रियल एस्टेट कारोबार का स्वरूप काफी व्यवस्थित हो गया है और किसी भी दूसरे सेक्टर की तरह कॉरपोरेट कल्चर की सारी विशेषताएंं इसमें नजर आने लगी हैं। मंदी के बाद सुधरती आॢथक स्थिति के कारण रियल एस्टेट सेक्टर में विकास की दर भी काफी तेज हो गई है। पिछले साल इस सेक्टर में हुए विकास की रफ्तार इस साल भी जारी है। वर्तमान कंस्ट्रक्शन डेवलपमेंट से इस सेक्टर में जॉब के शानदार मौके उपलब्ध हो रहे हैं। रिटेल और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में हो रही गतिविधियों से भी इस सेक्टर को बल मिला है और जॉब के अवसरों में इजाफा हुआ है। भारतीय रोजगार ट्रंड पर क्वमा फोई रैंडस्टैड एम्प्लॉइमेंट ट्रंड सर्वे (एमईटीएस)ज् की रिपोर्ट में २०११ के अग्रणी जॉब प्रदाता सेक्टरों में रियल एस्टेट सेक्टर को भी शामिल किया गया है, जिसके तहत १६.८ प्रतिशत की विकास दर से लगभग १,४४,७०० जॉब के मौके उपलब्ध होंगे।
कार्य का स्वरूप
रियल एस्टेट सिर्फ एक फील्ड नहीं है, बल्कि यह एक पूरा सेक्टर है, जिसमें कई फील्ड्स समाहित हैं। इसके तहत कंस्ट्रक्शन, इंटीरियर डिजाइङ्क्षनग, प्रॉपर्टी मैनेजमेंट, ब्रोकरेज सिस्टम, अर्बन प्लाङ्क्षनग, रियल एस्टेट काउंसङ्क्षलग, रियल एस्टेट रिसर्च, मार्केङ्क्षटग, एचआर, लीगल, प्रॉपर्टी टैक्स, इन्वेस्टमेंट आदि तमाम तरह के कार्य किए जाते हैं। यह अलग बात है कि इसमें सामान्य तौर पर मार्केङ्क्षटग और कंस्ट्रक्शन का काम ज्यादा नजर आता है। लैंड डेवलपमेंट इस सेक्टर का अहम पहलू है। खाली पड़ी जमीन में बिङ्क्षल्डग, शॉङ्क्षपग आर्केड, ऑफिस कॉम्पलेक्स, होटल, फैक्ट्री आदि बनाकर उसे उपयोग के लायक बना देना रियल एस्टेट के कार्य क्षेत्र के अंतर्गत ही आता है।
योग्यता
इस सेक्टर के अंतर्गत कई फील्ड्स शामिल हैं। ऐसे में किसी खास फील्ड में जॉब के लिए उससे संबंधित डिप्लोमा या डिग्री का होना अनिवार्य है। मार्केङ्क्षटग में जॉब के लिए एमबीए, डिप्लोमा इन मार्केङ्क्षटग या रियल एस्टेट संबंधी कोई डिग्री जरूरी है। इसी तरह यदि आप कंस्ट्रक्शन से जुड़ना चाहते हैं तो सिविल इंजीनियङ्क्षरग में बीटेक या डिप्लोमा जरूरी है। बेहतर कम्युनिकेशन स्किल इस सेक्टर की अधिकांश फील्ड्स के लिए जरूरी है।
कहां मिलते हैं मौके
कंस्ट्रक्शन में संलग्न कंपनियों में ही सबसे ज्यादा मौके मिलते हैं। इसके अलावा प्रॉपर्टी बिजनेस एसोसिएट्स, प्रॉपर्टी मैनेजमेंट फम्र्स, प्रॉपर्टी रिसर्च एजेंसी, इंश्योरेंस कंपनी आदि के द्वारा भी मौके उपलब्ध कराए जाते हैं। इसके अलावा रियल एस्टेट से संबंधित पत्र-पत्रिकाओं और वेबसाइट में भी रियल एस्टेट के जानकारों की मांग बनी रहती है। आप चाहें तो कंसल्टेंसी का भी काम कर सकते हैं। रेजिडेंशियल या कॉमॢशयल खरीदारी के लिए प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स की मांग अब काफी बढ़ गई है। अनुभव के साथ इस सेक्टर की किसी भी फील्ड में आमदनी के मौके बढ़ते जाते हैं। इसमें कई फील्ड क्रिएटिविटी की मांग करते हैं, जैसे आॢकटेक्चर, लैंडस्केङ्क्षपग डिजाइङ्क्षनग आदि। ऐसे में आपका कल्पनाशील होना आपको अन्य के मुकाबले आगे बढ़ने का बेहतर मौका देता है।
कहां से करें पढ़ाई
वैसे तो इस सेक्टर से जुड़ने के लिए अलग-अलग फील्ड्स से संबंधित अलग-अलग शैक्षणिक योग्यता का सहारा लेकर आगे बढ़ा जा सकता है। फिर भी कुछ संस्थान हैं, जहां से आप रियल एस्टेट से संबंधित डिग्री हासिल कर सकते हैं-
-नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ कंस्ट्रक्शन मैनेजमेंट ऐंंड रिसर्च, मुंबई व अन्य केंद्र
-इंडिया स्कूल ऑफ रियल एस्टेट, पुणे
-एमिटी यूनिवॢसटी, नोएडा
-नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ रियल एस्टेट मैनेजमेंट, नई दिल्ली
आजीविका का चुनाव कैसे करें!
प्राय शिक्षा समाप्त करते ही लोग आजीविका की तलाश में जुट जाते हैं। नये लोगों के लिये आजीविका का चुनाव करना एक बड़ी समस्या के रूप में उभर कर आती है। वास्तव में देखा जाये तो पूर्व में हमारे देश में अध्ययन किये गये विषय और प्राप्त नौकरी में अधिकतर किसी प्रकार का सम्बन्ध दिखाई नहीं देता था। जो व्यक्ति भौतिक शा , रसायन शा , गणित आदि का अध्ययन करता था वही व्यक्ति बैंक में नौकरी लग कर अकाउङ्क्षन्टग का काम करने लगता था। किन्तु अब समय बदल गया है और वर्तमान पीढ़ी आजीविका के चुनाव के प्रति जागरूक हो गई है।
आजीविका का चुनाव करने के लिये स्वयं की रुचि , व्यक्तित्व , पूर्व में किये गये अध्ययन के विषय, कार्य सम्बन्धित मान्यताएँ तथा मान आदि अनेक बातों का ध्यान रखा जाना चाहिये।
किसी भी आजीविका का चुनाव अत्यन्त सोच-समझ कर ही करना बहुत आवश्यक है वरना बाद में पछताना पड़ सकता है। किसी भी निश्चय पर पहुँचने के पहले स्वयं का आकलन कर लेना बहुत अच्छा होता है। साथ ही जिस आजीविका को हम अपनाना चाहते हैं उसका आकलन (जैसे कि वर्तमान में तो यह आजीविका तो बहुत अच्छी है किन्तु इसका भविष्य क्या है, क्या यह आजीविका मेरी समस्त या अधिकतम आकांक्षाओं को पूर्ण कर पायेगी आदि) कर लेना भी अति आवश्यक है।
दुर्भाग्य से हमारे शिक्षण संस्थाओं में आजीविका के चुनाव वाले किसी प्रकार के विषय नहीं होते और इसी कारण से अधिकतर लोग गलत फैसला कर लेते हैं जिसका परिणाम बाद में पछताना ही होता है। अत किसी भी निष्कर्ष पर पहुँचने के पहले हर पहलू पर गम्भीरता पूर्वक विचार कर लेना बहुत जरूरी है।
स्वयं का आकलन करने के लिये निम्न ङ्क्षबदुओं पर अवश्य ही ध्यान दें।
इसके अन्तर्गत वे वस्तुएँ आती हैं जिनका महत्व आपकी नजरों में बहुत अधिक होता है, जैसे कि उपलब्धियाँ , प्रतिष्ठा , स्वत्व आदि।
रुचियाँ इसके अन्तर्गत आपको आनन्द प्रदान करने वाली वस्तुएँ आती हैं, जैसे कि मित्रों के साथ लिप्त रहना, क्रिकेट खेलना , नाटक में अभिनय करना आदि।
व्यक्तित्व अलग अलग लोगों का अलग अलग व्यक्तित्व होता है जो उनकी विलक्षणता, आवश्यकता , रवैया , व्यवहार आदि का निर्माण करती हैं।
अहर्ताएँ अलग अलग व्यक्तियों की अहर्ताएँ या योग्यताएँ भी अलग अलग होती हैं जैसे कि किसी को लेखन कार्य में आनन्द आता है तो किसी को शिक्षण कार्य (जमंबीपदह) या फिर किसी को कम्प्यूटर प्रोग्राङ्क्षमग में।
उपरोक्त सभी बातें आप स्वयं का प्रतिनिधित्व करते हैं अत आजीविका का चुनाव करते समय इनका समावेश होना सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।
आजीविका का चुनाव करने के लिये स्वयं की रुचि , व्यक्तित्व , पूर्व में किये गये अध्ययन के विषय, कार्य सम्बन्धित मान्यताएँ तथा मान आदि अनेक बातों का ध्यान रखा जाना चाहिये।
किसी भी आजीविका का चुनाव अत्यन्त सोच-समझ कर ही करना बहुत आवश्यक है वरना बाद में पछताना पड़ सकता है। किसी भी निश्चय पर पहुँचने के पहले स्वयं का आकलन कर लेना बहुत अच्छा होता है। साथ ही जिस आजीविका को हम अपनाना चाहते हैं उसका आकलन (जैसे कि वर्तमान में तो यह आजीविका तो बहुत अच्छी है किन्तु इसका भविष्य क्या है, क्या यह आजीविका मेरी समस्त या अधिकतम आकांक्षाओं को पूर्ण कर पायेगी आदि) कर लेना भी अति आवश्यक है।
दुर्भाग्य से हमारे शिक्षण संस्थाओं में आजीविका के चुनाव वाले किसी प्रकार के विषय नहीं होते और इसी कारण से अधिकतर लोग गलत फैसला कर लेते हैं जिसका परिणाम बाद में पछताना ही होता है। अत किसी भी निष्कर्ष पर पहुँचने के पहले हर पहलू पर गम्भीरता पूर्वक विचार कर लेना बहुत जरूरी है।
स्वयं का आकलन करने के लिये निम्न ङ्क्षबदुओं पर अवश्य ही ध्यान दें।
इसके अन्तर्गत वे वस्तुएँ आती हैं जिनका महत्व आपकी नजरों में बहुत अधिक होता है, जैसे कि उपलब्धियाँ , प्रतिष्ठा , स्वत्व आदि।
रुचियाँ इसके अन्तर्गत आपको आनन्द प्रदान करने वाली वस्तुएँ आती हैं, जैसे कि मित्रों के साथ लिप्त रहना, क्रिकेट खेलना , नाटक में अभिनय करना आदि।
व्यक्तित्व अलग अलग लोगों का अलग अलग व्यक्तित्व होता है जो उनकी विलक्षणता, आवश्यकता , रवैया , व्यवहार आदि का निर्माण करती हैं।
अहर्ताएँ अलग अलग व्यक्तियों की अहर्ताएँ या योग्यताएँ भी अलग अलग होती हैं जैसे कि किसी को लेखन कार्य में आनन्द आता है तो किसी को शिक्षण कार्य (जमंबीपदह) या फिर किसी को कम्प्यूटर प्रोग्राङ्क्षमग में।
उपरोक्त सभी बातें आप स्वयं का प्रतिनिधित्व करते हैं अत आजीविका का चुनाव करते समय इनका समावेश होना सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।
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