Pages

Wednesday, November 21, 2012

कसाब की फांसी पर पाकिस्तान खामोश

मुंबई में 26/11 को हुए हमले के दोषी पाकिस्तानी नागरिक आमिर अजमल कसाब को बुधवार की सुबह पुणे की यरवडा जेल में फांसी दे दी गई है। इस खबर के आने के बाद से ही भारत की सारी मीडिया में सिर्फ और सिर्फ यही खबर हैं। लेकिन पाकिस्तान में इस खबर पर ज्यादा चर्चा नहीं हो रही है और वहां की मीडिया भी लगभग खामोश है। पाकिस्तान सरकार की तरफ से भी अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया इस बारे में नहीं आई है। खासकर कसाब के शव और फिर उनको यरवडा जेल में ही दफनाए जाने के बाद पाकिस्तान की तरफ से प्रतिक्रिया का इंतजार है। भारतीय विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद और गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे दोनों ने ही पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि भारत ने इसकी जानकारी पाकिस्तान को दे दी थी, लेकिन उनकी तरफ से कसाब के शव की कोई मांग नहीं आई थी। गृहमंत्री के मुताबिक सरकार ने कसाब के परिवार से भी संपर्क करने की कोशिश की थी। कसाब के परिवार से अभी तक बीबीसी का भी संपर्क नहीं हो पाया है। 'यही होना था' : पाकिस्तान में लाहौर स्थित बीबीसी संवाददाता एबादुल हक के अनुसार पाकिस्तानी मीडिया में इस बारे में जो थोड़ी बातें हो रही हैं वो सिर्प ये कि अचानक कसाब को फांसी क्यों दी गई और उनकी फांसी को लेकर इतनी गोपनीयता क्यों बरती गई। कुछ चैनलों में इस बात पर भी चर्चा हुई कि कसाब का मुकदमा ठीक तरह ने नहीं लड़ा गया लिहाजा उनके साथ इंसाफ नहीं हुआ। लेकिन पाकिस्तान के एक वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक हसन अस्करी रिजवी इस दलील को नहीं मानते हैं। उनके मुताबिक भारत को अपने कानून के मुताबिक अदालती कार्रवाई करने का हक है और किसी दूसरे देश की न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है। राजधानी इस्लामाबाद स्थित एक और वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक एहतेशामुल हक के अनुसार आम पाकिस्तानी में इसको लेकर कोई खास दिलचस्पी नहीं है। उनके मुताबिक ज्यादातर लोगों का यही मानना है कि कसाब ने जो किया था उसकी यही अंजाम होना था। एहतेशामुल हक का कहना है कि आम पाकिस्तानी नागरिकों को लगता है कि मुंबई पर हमले के कारण पाकिस्तान और भारत के रिश्ते और खराब हो गए हैं और अब जबकि कसाब को फांसी दे दी गई है तब हो सकता है कि भारत और पाकिस्तान के संबंध थोड़े बेहतर हों। एहतेशामुल हक के अनुसार मुंबई हमलों की साजिश रचने वाले चरमपंथी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने भी जब कसाब को अपना सदस्य मानने से इनकार कर दिया है तो फिर लश्कर की तरफ से उसकी फांसी पर भी कोई प्रतिक्रिया आने की संभावना नहीं है।

No comments:

Post a Comment