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Monday, November 1, 2010

Indira Gandhi: Life in Pictures


It has been 26 years since prime minister Indira Gandhi was assassinated on Oct 31, 1984. Events of those days are still fresh in memory. Worshipped by her supporters and cursed by her enemies, who later assassinated her, Indira Gandhi paved the way for democracy in India during the twentieth century.
Through the glorious chapters of history, we bring you pictures that bear testimony to the global icon and woman of substance, Indira Gandhi.

Indira Gandhi: Life in Pictures


Born in the politically influential Nehru family, Indira grew up in an extremely charged political atmosphere. Her grandfather, Motilal Nehru, was a prominent Indian nationalist leader. Her father, Jawaharlal Nehru, was a pivotal figure in the Indian independence movement and the first Prime Minister of Independent India.

Indira Gandhi: Life in Pictures


Young Indira studied at the Oxford and returned to India 1941. She soon became involved in the Indian Independence movement. In the 1950s, she served her father as a personal assistant during his tenure as the first Prime Minister of India. Throughout this period, Indira focused on social welfare.

Indira Gandhi: Life in Pictures


After her father's death in 1964, Indira was appointed as a member of the Rajya Sabha by the President of India and became a member of the Cabinet as Minister of Information and Broadcasting. In January 1966, when Lal Bahadur Shastri died, Gandhi was elected leader of the Congress Party in Parliament and became the third prime minister of independent India.

Indira Gandhi: Life in Pictures


Gandhi assumed office at a very critical time in the history of India. She inherited a nation still demoralised after its defeat in the 1962 war with China, a party with an ongoing struggle for power and a country caught in the midst of drought and a deepening economic crisis. With courage, Indira Gandhi took on the challenge of helping the nation tide over the crisis.

Indira Gandhi: Life in Pictures


In the fourth general elections of 1967 the Congress retained majority control and re-elected Gandhi as its leader. She was the Prime Minister during the decisive victory in the 1971 war with Pakistan.

Indira Gandhi: Life in Pictures


But a period of instability led her to impose a state of emergency in 1975. Due to the excesses, the Congress Party lost the next general election for the first time in 1977.

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In 1979, she again returned to the Parliament and resumed the office of the Prime Minister.

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Gandhi's later years were bedeviled with problems in Punjab where a massive religious cleansing movement was underway. In June 1984, Jarnail Singh Bhindranwale's Sikh separatist group were openly amassing weapons inside the Golden Temple in Amritsar.

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Under Gandhi's order, the Indian army forcefully entered the Golden Temple in Amritsar to arrest insurgents, resulting in many Sikh deaths.

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Under Gandhi's order, the Indian army forcefully entered the Golden Temple in Amritsar to arrest insurgents, resulting in many Sikh deaths.

Indira Gandhi: Life in Pictures


On 31 October 1984, two of Gandhi's bodyguards, Satwant Singh and Beant Singh, assassinated Indira Gandhi with their service weapons in the garden of the Prime Minister's Residence at No. 1, Safdarjung Road in New Delhi.

Indira Gandhi: Life in Pictures


She was cremated on 3 November near Raj Ghat.

मोक्ष के लिए बर्लिन से हरिद्वार


हर की पौडी में गंगा के तट पर चार साल का एक नन्हा बालक अपने पिता की अस्थियाँ विसर्जित कर रहा है। पिता की आत्मा की शांति और मोक्ष की कामना के साथ। पंडित संस्कार करा रहे हैं और निकट ही आँखों में आँसू लिए उसकी माँ और कुछ परिजन भी हैं। किसी हिंदू परिवार के लिए मत्यु के बाद ये जरूरी संस्कार है लेकिन यहाँ दिलचस्प ये है कि ये बालक हिंदू नहीं जर्मन है।
जी हाँ, सात समंदर पार से ये परिवार गंगा और हिंदू रीति-रिवाज में अपनी आस्था और विश्वास के कारण ही जर्मनी से भारत आया है। जर्मनी के बर्लिन शहर की रहनेवाली मेस्टर बूर के पति का निधन पिछले महीने हो गया था। वो कैंसर से पीड़ित थे और सिर्फ 40 वर्ष के थे और मेस्टर के अनुसार प्राच्य दर्शन से प्रभावित थे और हिंदू संस्कारों का अक्सर जिक्र किया करते थे।
आस्था : उनके निधन के बाद मेस्टर को लगा कि गंगा में अपने पति की अस्थियाँ विसर्जित करके ही वो उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दे पाएँगी। इसलिए उन्होंने हरिद्वार आने का फैसला किया। मेस्टर बूर की खुद भी भारतीय दर्शन और धार्मिक चिंतन में गहरी आस्था है। मेस्टर कहती हैं, 'मेरे पति को मौत से पहले काफी कष्ट सहना पड़ा और मैं चाहती थी कि उनकी आत्मा सारे कष्टों से मुक्त हो जाए इसलिए मैं गंगा की शरण में आई। मैंने यहाँ हिंदू पुरोहितों से बात की और उन्होंने मुझे ये संस्कार करने की सलाह दी।'
मुझे बताया गया कि ये संस्कार बेटे के हाथ से ही होना चाहिए इसलिए मैं अपने बेटे को लेकर यहाँ आई। मेस्टर बूर के लिए ये एक भाव विह्वल कर देने वाला क्षण था और उनके चेहरे पर असीम संतोष के भाव थे। हिंदू संस्कारों के प्रति मेस्टर का आग्रह इतना ज्यादा है कि उन्होंने ईसाई होने के बावजूद अपने पति का दाह संस्कार करवाया उनके शरीर को दफनाया नहीं।
हरिद्वार में उनका संस्कार कराने वाले प्राच्य विद्या सोसायटी के अध्यक्ष प्रतीक मिश्रपुरी कहते हैं, 'विदेशी तो हमारी संस्कति के प्रति समर्पित हो रहे हैं। वो इनका महत्व समझ रहे हैं, लेकिन खुद भारतीय अपने संस्कारों से विमुख हो रहे हैं।' हिंदू वैवाहिक परंपरा के प्रति विदेशियों का आकर्षण नई बात नहीं है, लेकिन हिंदू तरीके से अंतिम संस्कार कराना विरल घटना है। लिहाजा हरिद्वार के पुरोहित समाज में तो ये सुर्खियों में है ही आम लोगों में भी इसकी खूब चर्चा है।

60 साल बाद आई है दो अमावस्या वाली दिवाली


इस बार की दीपावली बेहद खास है। 5 नवंबर को 60 साल बाद दो अमावस्याओं वाला योग बन रहा है। ज्योतिष के जानकारों का कहना है कि यह निवेशकों के लिए शुभकारी होगा, वहीं देश में इसके कारण राजनीतिक अस्थिरता और महंगाई बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। लक्ष्मी प्राप्ति के लिए धन कुबेर और लक्ष्मी का पूजन पूर्ण रूप से फल देने वाला साबित होगा।
दीपावली पर अमावस्या दोपहर बाद 1:02 बजे शुरू होगी और गोवर्धन पूजन के दिन शनिवार को 10:22 मिनट तक रहेगी। पर्व स्वाति नक्षत्र शुक्रवार के दिन शुक्र की राशी में आ रहा है। इस दिन सूर्य भी शुक्र की राशी में होगा। इसके कारण मुद्रास्फीति की दर में परिर्वतन के आसार हैं। हालांकि वर्षों बाद पुण्य नक्षत्र का महा मुहूर्त दिनभर रहेगा। इस दिन प्रॉपर्टी, सोना-चांदी, बर्तन, कपड़ा, वीइकल, इलेक्ट्रॉनिक आइटमों की खरीद करने वाले फायदे में रहेंगे।
अग्रवाल कॉलेज बल्लभगढ़ के लेक्चरर और ज्योतिषाचार्य डॉ. बांके बिहारी के अनुसार दीपावली पर दो अमावस्या का योग 60 वर्ष बाद बन रहा है। दीपावली और गौवर्धन पर अमावस्या काल में पूजन लाभकारी होता है। इस योग में की जाने वाली पूजा शनि की पीड़ा से छुटकारा दिलाएगी। शनिवार सुबह 10:22 मिनट तक अमावस्या रहने तक दिवाली का त्यौहार रहेगा।
शनिवार की अमावस्या में दीपावली पर शनि सिद्धि भी संभव है। दीपावली के दिन व्यापारी कुंभ लग्न में दोपहर बाद 1:42 से 3:07 बजे तक पूजन कर सकेंगे। गृहस्थ लोगों के लिए वृष लग्न में शाम 6:02 बजे से 7:56 बजे तक पूजन का समय रहेगा। साधना के लिए सिंह लग्न में रात को 12:33 से 2:53 बजे तक समय निर्धारित है। शनिवार सुबह 10:22 बजे तक पितरों के स्थान की पूजा की जा सकेगी।
डॉ. बांके बिहारी ने बताया कि इस योग के कारण राजनीतिक संकट पैदा हो सकता है। दूसरी ओर यह योग सोना, चांदी व अन्य धातुओं को महंगा करेगा वहीं खाद्य पदार्थ के रूप में प्रयोग होने वाले गुड, शक्कर जैसी कई जरूरी चीजों को भी महंगा कर सकता है। इस योग के कारण उत्तर भारत में भयंकर सर्दी का प्रकोप आ सकता है। लक्ष्मी जी की पूजा, हिंदुओं के व्रत और त्योहार सूर्य एवं चंद्रमा की स्थितियों को ध्यान में रख कर मनाए जाते हैं। सूर्य आत्मा का प्रतीक है, उसी प्रकार चंद्रमा मन का। दीपावली पर सूर्य एवं चंद्रमा दोनों एक ही राशि में होते हैं, जिससे अमावस्या का योग बन जाता है। अमावस्या पर चंद्रमा के सूर्य में अस्त हो जाने से चंद्रमा शून्य अंश का हो जाता है। इसके प्रभाव से मन शांत एवं स्थिर होता है, तभी महालक्ष्मी का पूजन सफल होता है।