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Thursday, September 2, 2010

फिक्सिंग के दागी क्रिकेटर राष्ट्रद्रोही


क्रिकेट की पिच और उसके बाहर की दुनिया में पाकिस्तानी क्रिकेटरों की 'नाजायज' हरकतों ने समूची क्रिकेट बिरादरी को शर्मसार किया हुआ है। 'स्पॉट फिक्सिंग' के ताजे एपिसोड के बाद दुनिया के क्रिकेट को चलाने वाली संस्था जिसे लोग आईसीसी के नाम से पुकारते हैं, उसकी जिम्मेदारी सबसे ज्यादा बढ़ जाती है।
इन दिनों आईसीसी के मुखिया भारतीय राजनीति के चतुर खिलाड़ी शरद पवार हैं, जिन्हें फिक्सिंग कांड ने हिलाकर रख दिया है। पवार के हाथों में पॉवर है, जिसका इस्तेमाल उन्हें क्रिकेट की भलाई के लिए करना चाहिए। उन्हें चाहिए कि वे क्रिकेट की पिच को राजनीति की बिसात से ऊपर उठकर देखें और दोषी क्रिकेटरों को कड़ी सजा दिलवाने की मुहिम की शुरुआत करें।
वैसे पवार को इस बात का दिली तौर पर अफसोस है कि क्रिकेटरों की शर्मनाक हरकत की ‍वजह से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी को सार्वजनिक तौर पर माफी माँगनी पड़ी। यही कारण है कि वे क्रिकेटरों को ऐसा सबक देने का मन तो बना ही चुके होंगे जिससे भविष्य में किसी एक देश के प्रधानमंत्री का सिर शर्म से झुकने की नौबत नहीं आए।
मंगलवार को शरद पवार एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पाकिस्तान के क्रिकेट प्रशासकों के साथ-साथ इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) के अधिकारियों से बातचीत करने वाले हैं। आईसीसी मुखिया को इनसे बात करने के पूर्व स्कॉटलैंड यार्ड पुलिस को तलब करना चाहिए ताकि हकीकत का पता चल सके।
जो स्कॉटलैंड यार्ड पुलिस इस कांड में सक्रिय भूमिका निभाने वाले सट्‍टेबाज मजहर माजिद को पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में जमानत पर छोड़ सकती है, उसकी पुलिस रिपोर्ट क्या होगी ये बताने की जरूरत नहीं है और मजेदार बात तो ये हैं कि आईसीसी मुखिया को इसी रिपोर्ट का इंतजार है। ‍'फिक्सिंग कांड' से इतर भी कुछ बातें हैं, जिनका यहाँ जिक्र होना लाजिमी है।
सब जानते हैं कि 'स्टार टीवी' के कार्यक्रम भारत के साथ पाकिस्तान में भी चोरी-छुपे या सीनाजोरी के साथ देखे-सुने जाते होंगे। कुछ महीनों पहले इस टीवी पर एक विवादास्पद कार्यक्रम पेश किया जाता था 'सच का सामना'। 'कौन बनेगा करोड़पति' से अमिताभ बच्चन की गरीबी दूर करने वाले सिद्धार्थ बसु ने ही 'सच' को पेश किया था और इसके एंकर राजीव खंडेलवाल सच की तह में जाकर सब कुछ उगला लेते थे।
ऐसे ही कार्यक्रम में उन तमाम नामचीन क्रिकेटरों को बुलाना चाहिए, जिन पर फिक्सिंग के आरोप लगे हों। फिर चाहे वह टेस्ट टीम के कप्तान सलमान बट्‍ट हो, मोहम्मद आसिफ हों, उनकी पूर्व गर्लफ्रेंड वीना मलिक हों ताकि सच्चाई पूरी दुनिया के सामने आ सके। वैसे विनोद कांबली एक दफा इसके प्लेटफार्म पर आकर पंगा ले चुके हैं।
सट्‍टेबाजों की अँगुलियों पर नाचने वाले लालची क्रिकेटर इस बात से बेखबर होते हैं कि उनकी हरकत का खामियाजा पूरे देश को भुगतना पड़ सकता है, पूरी दुनिया में आज हर पाकिस्तानी 'शक' की निगाहों से देखा जा रहा है। दिलों में नफरत का ग्राफ तेजी से ऊपर जा रहा है, ऐसे में ये जरूरी हो जाता है कि आरोपित क्रिकेटरों पर आजीवन प्रतिबंध की सजा नाकाफी है और उससे आगे बढ़कर उन पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चलना चाहिए। यही नहीं, ऐसे क्रिकेटरों के साथ हमदर्दी रखने वालों की जगह भी सलाखों के पीछे होनी चाहिए।
कहते हैं ना कि दुनिया गलती करती है, गलती के बारे में सुनती है, लेकिन सबक कभी नहीं लेती। हर आदमी जिंदगी के अंतिम मोड़ पर आकर कुछ सयाना अवश्य हो जाता है, लेकिन उसे ये समझदारी दूसरों की ठोकर से नहीं बल्कि उसके खुद के जख्मों से आती है। दुनिया के जितने भी क्रिकेटर हैं, उन्होंने मैच फिक्सिंग में फँसकर क्रिकेट के सीने पर जो जख्म दिए हैं, वे वक्त गुजरने के साथ भर तो जाएँगे लेकिन पीछे छोड़ जाएँगे दाग।
ओशो कहते हैं 'फूलों को चुनों, काँटों को छोड़ों।' आदमी की मूढ़ता ऐसी है कि वो काँटों को चुन लेता है और फूलों छोड़ देता है। रातों को गिन लेता है, दिन को छोड़ देता है। दु:ख को पकड़ लेता है, आनंद का जाम भी लिए उसके सामने बैठो रहो, देखेगा भी नहीं।
अगले बरस भारतीय उपमहाद्वीप में क्रिकेट का महासंग्राम 'विश्वकप' के जरिए होने जा रहा है, लिहाजा अब वक्त आ गया है, जब क्रिकेट के सम्मान और विश्वास को बचाने के लिए पहल की जाए और दुनिया का हर क्रिकेटर इसमें ईमानदारी के साथ अपना किरदार निभाए ताकि इसका 'जैंटलमैन' गौरव फिर से स्थापित हो सके।

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